मै साक्षात माधव हूँ।
एक तरफ अक्षौहिणी सेना यादवों की
दूसरी तरफ मंद मंद मुस्कुराता माधव है।
अगणित तलवार अक्षौहिणी सेना की
निहत्था खड़ा माधव, अकेला ही भारी है
मत भूलो, सामने खड़ा भाषा का योद्धा माधव,
दिखता निहत्था पर क़लम-शस्त्रधारी है।
हर षड्यंत्र फरेब का तोड़ है माधव
तू है उदंड यादव, तो मैं साक्षात माधव हूँ
तेरी आक्रोश तेरी अहंकार का तोड़ हूँ
तेरे शस्त्र षड्यंत्र भरे दांवपेंच और जातीय तांडव है
हर दांवपेंच हर षड्यंत्र का तोड़ मैं साक्षात माधव हूँ।
ये मत समझना कोई शब्दों का छल हूँ मैं
जीवन के कड़वे अध्यायों का हल हूँ मैं
निर्बल-असहायों का गहराता बल हूँ मैं
अहंकार और अनीति का संहारक मैं
तुम करते नव क्रांति,
सदियों से क्रांति का स्वयं जनक हूँ मैं
निडरता सत्यता मेरे शस्त्र मेरी ताकत है
राम-कृष्ण का वंसज मैं अवतारी हूँ
अगणित तलवारे अक्षौहिणी सेना…
दिग्भ्रमित लोगों के सारे भ्रम तोड़ूँगा
एक भी विसंगति को जीवित कब छोड़ूँगा
न्यायों के छिन्न-भिन्न सूत्रों को जोड़ूँगा
शोषण का बूँद-बूँद रक्त मैं निचोड़ूँगा
शुभ कृत्यों पर हावी होते दुष्कृत्यों को
शब्दों से रोकूँगा, करता तैयारी हूँ
अगणित तलवारें अक्षौहिणी…
ज़हरीले आकर्षण तेरे नयनों में पलते हैं
देखूँगा ये कैसे लोगो को कबतक छलते हैं
ताकत असुरों के उगते और ढलते हैं
मेरे संकेतों पर युग रूकते-चलते हैं
मानवता की रक्षा-हित निर्मित दुर्गों का
मैं भी इस छोटा-सा कर्मठ प्रतिहारी हूँ
अगणित तलवारे अक्षौहिणी…
रावण के मायाजाल से भ्रमित लोग
रावणों के मानस को राममय बनाना है
एक नई रामायण फिर मुझको गाना है
सत्य भरे मार्ग पे अडिग, रण का सारथी हूँ
द्वेष भाव से युक्त विपक्ष पे, अकेला भारी हूँ
तू उदंड यादव तो मैं साक्षात माधव हूँ।
अगणित तलवारे अक्षौहिणी…