मै भी सुना सकता हूँ
सुनना चाहते हो तुम मै वह भी सुना सकता हूँ।
समय की बात नही तो पूरी रात सुना सकता हूँ।
घायल खड़ी भारत माँ की पीड़ा गाने आया हूँ।
मैं कैसे चूड़ी पायल की छम छम सुना सकता हूँ।
दुश्मन की हर बोली का भी उत्तर सुना सकता हूँ।
घायल जवानों के गोली की गूंज सुना सकता हूँ।
मनोरंजन के तुम्हारे मन मे आग लगा ने आया हूँ।
मै कैसे नदी झरनों की खल खल सुना सकता हूँ।
भूख से तड़पते बच्चों की पीड़ा भी सुना सकता हूँ।
इंसानियत के दुश्मनों की पहचान दिखा सकता हूँ।
बारूद बम धमाके बंदूकों की गूंज सुनाने आया हूँ।
सुनना चाहते हो तुम मै वही चीख सुनाने आया हूँ।
लीलाधर चौबिसा (अनिल)
चित्तौड़गढ़ 9829246588