*मै भारत देश आजाद हां*
मै भारत देश आजाद हां
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मै भारत देश आजाद हां,
मेरी वखरी है पहचान।
मेरे अंदर खून शहीद दा,
सिर मत्थे जो है परवान।
मैनु मुगलाँ ने वी लुट्या,
होया गोरयाँ दा गुलाम,
सोने दी चिड़िया लूट गए,
होया भारी सी नुकसान।
की कराँ वश ना चलया,
मै हो गया सी मोहताज,
घर दे मालिक बण गये,
जो आये सी बन मेहमान।
अपने बचया मैनु मारया,
सी फंसया विच मंझदार,
फुट ले के मैनु बह गई,
जिस तो मै सी अनजान।
सी शाहिदां मैनु तारया,
भन बेड़ी कित्ता आजाद,
मनसीरत मुंहों सुनावदां,
मेरी छोटी जिही दास्तान।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)