मै बुलंद हौंसलो वाला
मै बुलंद हौंसलो वाला
एक जिद्दी सा लड़का
तेरी यादो से लड़ता हूँ
तो रो पड़ता हूँ..
मुद्दत गुजर गई
और,
ये आलम है मुस्तक़िल,
कोई सबब नहीं है
मगर दिल उदास है
वाकिफ़ हूँ तेरी बेरुखी से
आज भी मगर
तेरे आने की आस है
ख़बर है मुझे
कि तुम हासिल नहीं मुझ को
इसे ज़िद कहूँ,
या कहूँ मोहब्बत अपनी
तू आएगी एक रोज़
मेरी बाहों में
उम्मीद आज भी यही बाकी है
हिमांशु Kulshrestha