मै पानी हूँ…
मै पानी हूँ.।
मै पानी हूँ..।
मै स्रोत भी हूँ, मै सार भी हूँ,
सच मानो तो मै हीं संसार हूँ,
धरा तड़पती आलिंगन को मेरे,
खेतें चुम्बन को तरसतीं है,
झरनें मुझे देख है आहें भरतें,
नदियाँ मुझे पा कर उफनतीं है.।
मै पानी हूँ.।
मै नर मे भी हूँ मै नारायण मे भी,
मै असुर मे भी हूँ और मानव मे भी,
मै भक्ति मे भी हूँ,मै शक्ति मे भी,
मै पानी हूँ.।
भर दे पुण्य तन मन मे जो
मै वो भागिरथ हूँ.।
धो दे हर पापों को जो,
मै वो बहती निश्छल गंगा हूँ.।
मै पानी हूँ.।
मै सागर का गर्व हूँ,
सूखे खेतों का हर्ष हूँ,
बन बूंदे अगर बरस जाऊं मै ऐसे.।
उनके लिए हो कोई इक पर्व जैसे.।
मै पानी हूँ.।
मै पेड़ों को भी जीवन देता हूँ,
मै फूलों को भी जीवन देता हूँ.।
मै नहरों मे,मै तालाबों मे भी,
मै कुओं मे,मै नलकुपों मे भी
और अगर कहीं जगह नही मिले तो,
आँसू बन पल्कों को भर जाता हूँ.।
मै तो कण कण मे हीं होता हूँ.।
मै पानी हूँ.।
सृष्टि मे जीवन धारा की मै,
कण कण की पुकार हूँ.।
मै हीं जीवन,मै ही मृत्यु,
मै स्रोत हूँ, मै संसार हूँ.।
मुझे अभी अगर ना तुम सहेजोगे.।
बूंद बूंद को आगे तरस जाओगे.।
सूखेगा हर पल कंठ तुम्हारा,
और प्यासे हीं सब मर जाओगे.।
प्यासे हीं सब मर जाओगे.।
मै पानी हूँ.।
मै पानी हूँ.।
विनोद सिन्हा-“सुदामा”
जल हीं जीवन है,जीतना हो सके आज बूंद बूंद बचायेंऐसा ना हो की कल हम सब पछतायें.।