मै निकला हूं समझाने को
एक तीली ही काफी है आग लगाने को
हजारों हाथ लग जाएंगे जिसे बुझाने को
मत घोलो फिजा में जहर यारों
मैं निकला हूं समझाने को
रक्तरंजित चरित्र का निर्माण करने वालों
अमन को दमन से नहलाने वालों
क्या ?पाना चाहते हो आखिर इस धरा से
मैं पूछता हूं आ जाओ बताने को
मैं निकला हूं समझाने को
सड़क चौबारे आबाद रहे
निरीह जनों का न लहू बहे
अनुनय महके यह धरती मैं लाया हूं बीज उगाने को
मैं निकला हूं समझाने को ।
“राजेश व्यास अनुनय”