मै और हालात
ना दिन है,
ना रात है,
तुम ही कहो,
ये कैसे हालात है?
के जमाना जमाने से आज पूछ बैठा,
कि यह कैसा बिना जज्बात का इंसान है?
ना दिन है,
ना रात है,
तुम ही कहो,
ये कैसे हालात है…
की पता है सामने तुम ही हो, फिर भी लव्स इतने खामोश क्यों हैं?
दिल ने कहां दिमागको,
दिमाग ने कहा मुझसे,
के पास रहकर प्यार को जताना थोड़ा आसान होता है,
पर दूर होकर खामोश रहना यह रिश्तों की डोर को मजबूत कर प्यार को बरकरार बनादेता है,
की आसान नहीं होता ऐसे दौर से गुझरना,
दिल की मुस्कुराहट को याद कर लो,
यह बस एक दौर ही है,
इसको भी है वक्त के साथ गुझर जाना,
ना दिन है,
ना रात है,
तुम ही कहो,
ये कैसे हालात है….