मैथिली
मैथिली।
-आचार्य रामानंद मंडल।
हे सुनु त।
कहु कि कहैइ छी।
पढियो न।हम एगो कथा लिख ली हैय।
लाउ पढैय छी।
एगो राजा रहैय।नाम वोकर दशरथ रहै।हुनका तीन गो रानी रहैय।बड़की के नाउ कौशल्या,मंझली के कैकेई आ छोटकी के नाउ सुमित्रा रहैइ।
हे।हम आबि न पढ़ब।
कैला।हमर मुंह दुखाइ हैय। बुझाई जेना जीउ ऐठाईं गेल।
आउर पढूं न।न। हमरा सं न पढ़ाई हैय।
देखियौ न।आइ के दैनिक मैथिल पुनर्जागरन प्रकाश मे विभूति आनंद के कथा छपल हैय।वो कालेज मे प्रोफेसर रहलथिन हैय।
ज्या दियौ।इ मैथिली मे हैय।अपन सभ के भासा इ न हैय।
अंहु त मैथिलीये बोलैय छी।
हम मैथिली न बोलैय छी।हम घर मे टुटल फूटल हिंदी बोलैय छी।आ बाहर खड़ी हिंदी बोलैय छी।देखैय न छी।जे न पढल लिखल हैय वोहो अपना बच्चा के खड़ी हिंदी सिखावैय छियै।
इ अंहा कि भे गेल हैय। अंहा अपनो भासा के खराब क रहल छी। बिना पढल लिखल के भासा बोल आ लिख रहल छी।
आब अंहा पानी के पाइन,थाली के थारी, ग्लास के गिलास कहैय छी।इ ठीक बात हैय।पढ लिख के लोग एना बोलैय छी।धियो पूता के बोली बानी बिगड़ जतैय।
एना न कहु।इ मैथिली भासा लेके युवक सभ आई ए एसो बन रहल हैय।देखियौ न। शिवहर के एगो लड़िका प्रिंस मैथिली लेके आइ ए एस बनलैय हैय। मिथिला मिरर के ललित नारायण झा इन्टरव्यू लेलथिन हैय।
त इ बात हैय।
हं। मिथिला के मातृभासा मैथिली हैय।अपना सभ त सीता के जनम स्थली सीतामढ़ी के छी।त हमरा सभ के मातृभासा मैथिलीये हैय।आउर नयका शिक्षा नीति मे त प्राथमिक शिक्षा मातृभासा मे ही देल जतैय। बिहार लोक सेवा आयोग के परीक्षा मैथिली विसय लेके बहुते युवक बिहार प्रशासनिक सेवा मे गेल हैय।
आंय।इ बात त हम न जनैत रहली हैय।हम त अपना धिया पुता के औफीसर बनाबे के सोचैत रहली हैय।हम त बुझैत रहली हैय कि एहन बोली भासा से हमर धिया पुता खराब हो जायत।अहिला हमरा इ बोली भासा न निमन लगैत रहल हैय।अब त हम इहे भासा बोलब आ लिखब।चाहे जिउ ऐंठाय चाहे अउंरी दुखाय।
हे।आबि कनिका हमरा पढ़ के सुनाउ।तब फेर हम पढब।
त अच्छा सुनूं।
कौशल्या से राम, कैकेई सं भरत आ सुमित्रा सं लक्षमन आ शत्रुधन जनम लेलक। विश्वामित्र मुनि अपना यज्ञ के राक्षस सभ सं रक्षा के लेल राम आ लक्षमन के राजा दशरथ से मांग के ले गेलन।राम आ लक्षमन के विश्वामित्र जी धनुस यज्ञ देखाबे जनकपुर ले गेलन। रस्ता में एगो नारी अहिल्या अपना पति रिसि गौतम के त्याग के दुख सं पत्थर जेका भे गेल रहे। राम के पग ध्वनि सुन के होश मे आ गेलन। उ स्थान के अहिल्या स्थान आइ कहल जाइ हैय।जनकपुर के राजा जनक अपना बेटी सीता के विआह लेल प्रतीज्ञा कैले रहलन कि जे वीर अइ शिव धनुष के तोड़ देत,हुनके से अपन बेटी सीता सं विआह करब।
सीता के जनम त सीतामढ़ी मे होयल रहे।
हं। मिथिला मे जौ अकाल परल रहे त राजा जनक कृषक बन के हर जोते सं पहिले महादेव के स्थापना आ पुजा कैलन उ स्थान के लोग हलेसर स्थान कहैय हैय।
हं।हमहु दूनू गोरे त बसंत पंचमी के जल ढारे हलेसर स्थान गेल रही।
त सुनूं। हर जोतैत रहलन त सीतामढ़ी के पुनौरा मे खेत में एगो बच्ची हर के फार के नोक तर मिलल रहै नोक के सीत कहल जाइ हैय। तैइला बच्ची के नाउ सीता रखल गेल।राजा जनक सीता के अपना राजधानी जनकपुर ले गेलन।
वही सीता के विआह राम से धनुस तोड़ला के बाद भे गेल।जनक जी के दोसर बेटी उरमिला स लक्षमन के आ जनक जी के छोट भाई के बेटी मांडवी स भरत के आ दोसरकी बेटी श्रुतिकिरती सं शत्रुधन के बिआह भे गेल।बिआह क के अयोध्या जाइत रहत त सीता के डोली के एगो विशाल पाकर के गाछ तर रखल गेल।वोइ तर एगो मनोरम पोखरो रहे । आइ वो स्थान के पंथपाकर कहल जाइ हैय।
बाद मे राजा दशरथ राम के जुवराज बनाबे के चाहलन। परंच दोसरकी पत्नी कैकेई के चलते राम के वन जाय के परलैन।राम के संगे सीता आ लक्षमनजीयो वन चल गेलन।
वन मे सीता के राक्षस के राजा रावन अपहरन क के अपन राजधानी लंका ले गेल। हनुमान आ सुग्रीव के सहायता सं राम के वान से रावन मारल गेल।
राम अयोध्या के राजा बन लन।
हे।इ खिस्सा पहलेहु सुन ले रहली हैय परंच हिंदी मे।आबि अंहा के मुंह स मैथिली मे सुन ली हैय त बड़ा सुन्नर आ मिठगर लगैय हैय।
हं। मैथिली भासा बड़ा मिठ भासा हैय।
ऐही लेल विआहो सादी मे मैथिलीये मे लोग गीत गबैय हैय।
लाउ।आबि हम पढैय छी।
राम जी के दुगो पुत भेल रहैय।लव आ कुश।
हे।सीता के एगो नाउ मैथिली हैय।
हं।एहीले भसो मैथिली हैय।
स्वरचित © सर्वाधिकार रचनाकाराधीन
रचनाकार-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।