मैथिली साहित्य मे परिवर्तन से आस जागल।
मैथिली साहित्य मे परिवर्तन से आस जागल।
-आचार्य रामानंद मंडल।
बात शुरू करब ज्योतिश्वर से अजित आजाद तक। ज्योतिश्वर आ महाकवि विद्यापति मैथिली मे साहित्य न रचलन।वो संस्कृत आ अवहट्ट मे साहित्य रचलन। महाकवि त अवहट्ट के देसिल बयना कहलन।वोइ समय मे मैथिली भासा नामो न रहय।बाद मे एकर नाम मैथिली भासा नाम परल। अइमे भासाविद अव्राहम ग्रियर्सन के भासा सर्वे रिपोर्ट के अहम योगदान हय। परन्तु वो मैथिली के विभिन्न बोली दक्षिनी मैथिली, पच्छमी मैथिली आ ठेठी आदि के चर्चा कैलन।बाद में राहुल सांकृत्यायन दक्षिनी मैथिली के अंगिका आ पच्छमी मैथिली के बज्जिका नाम देलन आ मैथिली से अलग मानलन।२००३ मे मैथिली भासा संविधान के अष्टम सूची मे जुड़ल। हांलांकि आइ तक अंगिका-बज्जिका के भासा के दर्जा न मिलल हय। हालांकि भासा के लेल खडयंत्र जारी हय आ मैथिलियो में खडयंत्र जारी हैबे करे।महाकवि संस्कृत आ देसी बयना मे साहित्य रचलन त दूनू के प्रकृति भिन्न रखलन। परंतु बाद मे संपादन मे देसिल बयना के संस्कृतनिस्ठ बना देल गेल।कायथ आ बाभन मिल के मिथिला पर लगभग आठ सौ वर्ष शासन कैलन।बाद के शासक मैथिली आ मैथिल पर अधिपत्य जमैलन।माने कि बाभन आ कायथ के संस्कृतनिस्ठ बोली के मैथिली आ बाभन आ कायथ के मैथिल बनैलन। बाजाप्ता मैथिल महासभा एकर घोसना कैलक।दोसर जाति के मैथिल महासभा मे प्रवेश निसेध क देलक।एकर विरोध यादव महासभा कैलन परंतु अरन्य रोदन रह के रह गेल। सबसे महत्वपूर्न इ बात भेल जे हमर बोली भासा आ तोहर भासा बोली बना देल गेल।बाद मे साहित्य अकादमी मैथिली भासा विभाग अइ सिद्धांत के प्रश्रय देलन। साहित्य अकादमी के निर्मान से २०२२तक संयोजक पद पर गैर बाभन संयोजक न बन पायल आ २०२० तक गैर सवर्न के अकादमी के मूल पुरस्कार न भेंटल।२०२१के मूल अकादमी पुरस्कार पंगु उपन्यास पर जगदीश प्रसाद मंडल गैर सवर्न के काफी विरोध के बाद मिलल। आ २०२२ के मूल अकादमी पुरुस्कार निर्विवाद रुप से बाभन अजित आजाद के कविता संग्रह पेन ड्राइव में पृथ्वी पर मिलल। त २०२३ मे अकादमी के मैथिली भासा के संयोजक पद पर भारी मत से पहिलवार गैर बाभन भासाविद प्रो उदय नारायण सिंह नचिकेता से निर्वाचित भेलन।अब हिनका से मिथिला आ मैथिली भासी के बड आस हय। परंतु इ कांटक ताज हय। केना मैथिली के भासा आ बोली मे सामंजस्य बैठैयतन।कारन दूनू मे साहित्य रचल जा रहल हय। जानकारी के मुताबिक अंग्रेजी के पांच शैली में अंग्रेजी साहित्य रचल जा रहल हय। मैथिली मेयो बोली न कहके शैली कहल वा मानल जाय। अकादमी के सभ कोसांग समावेशी बनाबे के आवश्यकता हय।नचिकेता जी भासाविद हतन परंतु मानक,रार आ ठेठी के मिटाबे मे मैथिली भासाविद कौकस से निपटनाइ कांटा भरल राह हय। अइ के लेल मैथिल-मैथिली भासी के पूरजोर सहयोग के आवश्यकता हय। हालांकि संयोजक पद पर अइ परिवर्तन से मैथिली साहित्य साधक आ मिथिला -मैथिली अभियानी के आस जागल हय।नव संयोजक के बधाई संगे शुभकामना।
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढ़ी।