मैथिली साहित्य मे घोटाला।
मैथिली साहित्य मे घोटाला ।
-आचार्य रामानंद मंडल
मिथिला -मैथिली मे दूटा विद्यापति भेलन। ज्योतिश्वर ठाकुर (१२९०-१३५०) से पूर्व सोलकन नाइ जाति मे विद्यापति भेलन ।वो अपना साहित्य पर विदापत नाचो शुरू कैलन।वो नाच संपूर्ण मिथिला मे लोक शिक्षण करैत रहे। जेकर चर्चा ज्योतिश्वर कैले हतन।दोसर विद्यापति (१३५२-१४४८)ज्योतिश्वर के बाद मे भेलन।जे जाति के बाभन रहलन।वो संस्कृत आ अवहट्ट मे साहित्य रचना कैलन।
परंतु मैथिली साहित्य मे नाइ विद्यापति के कृति के बाभन विद्यापति के कैल जा रहल हय।
एगो दैनिक अखबार मे लेखक प्रवीण नारायण चौधरी लिखैत हतन –
विरोध, निंदा आ आलोचनाक बाबजूद विद्यापति कवि कोकिल, महाकवि, जनकवि बनि गेलाह।लोक हुनकर संदेश के हाथोंहाथ स्वीकार कयलक।अपन सहज -सुंदर मैथिली रचना सभ एतैक जनसुलभ छल जे लोक ओकरा हृदयंगम कय लेलक।जन – जन के कंठ मे अपन देसिल बयना (मातृभाषा) रचनाक कारण पहुंचि गेलाह विद्यापति।हुनकर नचारी,महेसबानी,राधा -बिरह ,नोंक झोंक आदि अनेकों महत्वपूर्ण रचना सं समाज में साहित्यिक धारा एहेन बहल जे विद्यापतिक पदावलि पर नाच परम्परा -विदापत नाच तक प्रचलन मे आबि गेल।
विदित हो कि जनवर्गीय समाज मे एहि विद्यापति नाच के सहारे शिक्षाक समुचित प्रसार होबय लागल मिथिलाक लोक समाज मे।
उल्लेखनीय हय कि ज्योतिश्वर पूर्व से विदापति नाच मे विद्यापति पदावली के नृत्य अभिनय होइत रहे।अइ विद्यापति के बारे मे कश्मीर अभिनव गुप्त (दशम शताब्दी के अंत आ एगारहम शताब्दी के प्रारंभ) -ईश्वर प्रत्याभिज्ञा -विभर्षणी ग्रंथ में लिखल हय।
श्रीधर दास के सदुक्तिकर्णामृत (रचना ११फरबरी १२०६ मध्यकालीन मिथिला लेखक विजय कुमार ठाकुर)
श्रीधर दास विद्यापति के पांचटा पद उद्धृत कैलै हतन जे विद्यापति के पदावली के भासा हय।
जाव न मालती कर परगास तावे न ताहि मधुकर विलास।आ मुंदला मुकुल मकरंद,ज्योतिश्वर (१२७५-१३५०)षष्ठ कल्लोल।अथ विद्यावंत वर्णन।।
अष्टम कल्लोलक।।अथ राज्य वर्णन।।में विदापतके उल्लेख कैले हतन।से विद्यापति ततेक प्रसिद्ध भ गेल रहे जे ज्योतिश्वर तेकर उल्लेख नाचक रूप मे कैलै रहलन।
उपर्युक्त कथन से स्पष्ट हय की विदापति नाच नाइ विद्यापति के हय। परंतु आबि साहित्यिक घोटाला क के बाभन विद्यापति के कृति बनायल आ बताओल जा रहल हय।
हालांकि कुछ लोग एके विद्यापति के नाइ त कुछ लोग बाभन बतबैत हय। परंतु उपर्युक्त तथ्य के आधार पर दूटा विद्यापति भेलन।एगो नाइ आ एगो बाभन। परंतु मैथिली साहित्य मे विद्यापति के लेके घोटाला कैल गेल हय।
वर्तमान भौगोलिक स्थिति में जैइ बिस्डीफी डीह के बाभन विद्यापति के जन्म स्थान बतायल जाइ हय वोकर पांच वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बाभन बस्ती न हय। परंतु नाइ बहुल हय। बाभन विद्यापति के जन्म अन्य क्षेत्र में भेल रहे।बिस्फी डीह मे बाभन महाकवि विद्यापति समारोह न मनायल जाइत हय।अइ प्रकार मैथिली साहित्य मे घोटाला हय।
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढ़ी।