Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jan 2023 · 3 min read

मैथिली साहित्य में सोलकन साहित्यकार सब के असलियत

मैथिली साहित्य मे सोलकन साहित्यकार सब के मोजरे की हई? कुछो ने. नै कोनो सम्मान बात आ नै दै जाई हइ कोनो साहित्यिक आयोजन सब मे हकार. हं जे सोलकन सब बाभन लाॅबी के पिछलगुआ भरिया बनल रहलै आ अखनीयो छेबो करै तकरा अरू के त बलू हकारे हकार रहै हइ. आ उहे पिछलगुआ होहकारी सब कभी मैथिली साहित्यक गिरोहवादी दलाल सबहक बिरोध नै करत. ओकरा अरू के कोनो साहित्यिक मंच बनबै ले कहियौ त एतेक ने बहन्ना बोलत जे हमरा छुट्टी नै यै त के अइ फेर सब मे पड़त कनी धैरज राखू पुरूस्कारक बिरोध नै करियौ नाना प्रकारे मनोबल तोड़बाक प्रयास करत जहिना बाभनवाद लाौबी वला सब सोलकन साहित्यकार के योजना बना आगू नै बढ़ै देत ओहिना इ पिछलगुआ सोलकन साहित्यकार सब सोलकने के आगू नै बढाउत आ ने बढअ देत. हँ पिछलगुआपनी क जी हजूरी मानक भैज के एकरा अरू के अप्पन पेट भरक चाही.

मैथिली साहित्य में सोलकन साहित्यकार सब के असलियत.
मैथिली साहित्य मे दू तरहक साहित्यकार सब यै.
पहिलुका
1. अप्पन माई के बोली छोड़ मैथिली मानक भजै गबै मे बेहाल. किए त तबे वाभन लाॅबी मठाधीश सब कनी मनी एकरा सबके मोजर देतै.
2. साहित्यिक आयोजन सब मे हकार भेटै लोभे आ कनि मनी रचना छपै लोभे मैथिल मठाधीश सबहक गुलामी करब. किए त सबटा साहित्यिक मंच संस्था बाभने सब बनौने छै आ सब ठाम ओकरे कब्जा हई.
3. कहियो मैथिली साहित्य के कुकृत्यक बिरोध नै करै जेतै. एना करला पर त मैथिली मंच एकरा सबके बाईर देतै आ रस्ता रोकने रहतै.
4. पुरूस्कार पाग लोभे मैथिली लौबी के चरणवंदन करत ओहिना जेना बाघ सबटा माउस खा थोड़बू हड्डी गुड्डी माउस नरहिया लै छोड़ देलक.
5.कभीयो सोलकन साहित्यकार के मंच निर्माण करै लै नै सोचत.
6. कोनो साहित्यिक आयोजन वा लौबी बिरोध बेर मे चोरनुकबा बनल निपत्ता रहै जाएत आ उनटे उपदेश देत जे मैथिली साहित्य मे ओहिना होइत आबि रहलै. की करबै लै.
7. सोलकन साहित्यकार सबके मोजर दियाबै लै कोनो प्रयास जतन नै करत. हं पिछलगुआपनी अपन नाम मोजर लै अबस्से हो हो मे रहत.
8. केकरो उपेक्षा भेला होला पर कोनो अवाज नै उठाउत नै बिरोध केला पर फेर ओकरे नाम छंटा जेतै.
9. पाग मंच लोभे अप्पन मूल संस्कृति आ विध वेबहार छोड़ बभनौटी धारण क सोलकने के नाम हंसारत करत आ अपना के खूब काबिल आ मातृभाषा प्रेमी कहाउत.
10. मैथिली मानक भैज गाइब दाउ सुताइर मैथिली लाॅबी के चमचै करब आ साहित्यकार हेबाक गुमाने चूर रबह. किए त सोलकन के अप्पन साहित्यिक मंच पत्र पत्रिका सब छै ने सबटा बाभनक अधीन.

दोसर तरहक
1. सोलकन साहित्यकार सब में थोड़ बहुत संघर्ष करै वला साहित्यकार सब यै जे मंच निर्माण करै लै प्रयास त करैए लेकिन तेहेन मानसिक आर्थिक सहजोग नै भेटलै. तइयो बाभन लाॅबी सबहक षड्यन्त्रक विरोध क गाइर फज्जिहत सबटा सहै लै वेबश रहैए.
2. एकरा सबके मान सम्मान क फिकीर रहै छै आ कोनो लौबी मठाधीशक चक्कर चाइल मे नै फंसैए.
3.सोलकन साहित्यकार सबके जगेबाक प्रयास करैये लेकिन सफलता नै मिललै.
4. ई संघर्षशील सोलकन साहित्यकार सब समावेशी मैथिली लै प्रयास करै जाईए लेकिन पिछलगुआ सोलकन आ अगुआ बाभन गैंग एकरा सबके मनोबल तोड़ै मे रहैए.
5. सुप्पत गप बजै आ मैथिली लौबी के वाजिब बिरोध कारणे ई सब हरदम बारले रहैइए.
6. मिथिला मैथिली मे नव सुधार नव बिचार लै संघर्ष करैत रहलै यै.
7. समावेशी मैथिली लै कतेको लोहा लड़ाई लड़ब बेमतलबो उपहासक पात्र बनब तइयो मैथिली साहित्य कार्यक्रम सबमे जरूरी सुधार लै अवाज उठबैत रहल.
8. सोलकन साहित्य मंच के निर्माण लै जरूरी काज करै मे लागल रहत. लेकिन सोलकन सहजोगक घोर अभाव सहत.

आलेख- डाॅ. किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)

Language: Maithili
Tag: लेख
2 Likes · 2 Comments · 346 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan Karigar
View all
You may also like:
लोन के लिए इतने फोन आते है
लोन के लिए इतने फोन आते है
Ranjeet kumar patre
अतीत की रोटी
अतीत की रोटी
पंकज कुमार कर्ण
‘ विरोधरस ‘---6. || विरोधरस के उद्दीपन विभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---6. || विरोधरस के उद्दीपन विभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
लड़के रोते नही तो क्या उन को दर्द नही होता
लड़के रोते नही तो क्या उन को दर्द नही होता
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
"तर्पण"
Shashi kala vyas
Extra Charge
Extra Charge
AJAY AMITABH SUMAN
छोटे-मोटे चोर, उचक्के, ठग, लुटेरे, उठाईगिरे भी बस उन्हें
छोटे-मोटे चोर, उचक्के, ठग, लुटेरे, उठाईगिरे भी बस उन्हें "फ़ॉ
*प्रणय*
चलो एक बार फिर से ख़ुशी के गीत गाएं
चलो एक बार फिर से ख़ुशी के गीत गाएं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मत कहना ...
मत कहना ...
SURYA PRAKASH SHARMA
"कुछ लोग हैं"
Dr. Kishan tandon kranti
भय आपको सत्य से दूर करता है, चाहे वो स्वयं से ही भय क्यों न
भय आपको सत्य से दूर करता है, चाहे वो स्वयं से ही भय क्यों न
Ravikesh Jha
तुम्हारी याद तो मेरे सिरहाने रखें हैं।
तुम्हारी याद तो मेरे सिरहाने रखें हैं।
Manoj Mahato
Forever
Forever
Vedha Singh
विश्वास मत तोड़ना मेरा
विश्वास मत तोड़ना मेरा
Sonam Puneet Dubey
रंग बिरंगे फूलों से ज़िंदगी सजाई गई है,
रंग बिरंगे फूलों से ज़िंदगी सजाई गई है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*खादिम*
*खादिम*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मनके मन की साधना,
मनके मन की साधना,
sushil sarna
श्याम हमारा हाथ थाम कर भजन अरविंद भारद्वाज
श्याम हमारा हाथ थाम कर भजन अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
तेरे चेहरे को जब भी देखा है मुझको एक राज़ नज़र आया है।
तेरे चेहरे को जब भी देखा है मुझको एक राज़ नज़र आया है।
Phool gufran
हर रिश्ता
हर रिश्ता
Dr fauzia Naseem shad
माॅ॑ बहुत प्यारी बहुत मासूम होती है
माॅ॑ बहुत प्यारी बहुत मासूम होती है
VINOD CHAUHAN
कभी भी व्यस्तता कहकर ,
कभी भी व्यस्तता कहकर ,
DrLakshman Jha Parimal
2747. *पूर्णिका*
2747. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दहेज की जरूरत नही
दहेज की जरूरत नही
भरत कुमार सोलंकी
आंसू जता देते है, दर्द कैसा है ?
आंसू जता देते है, दर्द कैसा है ?
पूर्वार्थ
है सियासत का असर या है जमाने का चलन।
है सियासत का असर या है जमाने का चलन।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
हिदायत
हिदायत
Bodhisatva kastooriya
जिंदगी में जब कोई सारा युद्ध हार जाए तो उसे पाने के आलावा खो
जिंदगी में जब कोई सारा युद्ध हार जाए तो उसे पाने के आलावा खो
Rj Anand Prajapati
तोड़ा है तुमने मुझे
तोड़ा है तुमने मुझे
Madhuyanka Raj
Loading...