मैथिली साहित्य में सोलकन साहित्यकार सब के असलियत
मैथिली साहित्य मे सोलकन साहित्यकार सब के मोजरे की हई? कुछो ने. नै कोनो सम्मान बात आ नै दै जाई हइ कोनो साहित्यिक आयोजन सब मे हकार. हं जे सोलकन सब बाभन लाॅबी के पिछलगुआ भरिया बनल रहलै आ अखनीयो छेबो करै तकरा अरू के त बलू हकारे हकार रहै हइ. आ उहे पिछलगुआ होहकारी सब कभी मैथिली साहित्यक गिरोहवादी दलाल सबहक बिरोध नै करत. ओकरा अरू के कोनो साहित्यिक मंच बनबै ले कहियौ त एतेक ने बहन्ना बोलत जे हमरा छुट्टी नै यै त के अइ फेर सब मे पड़त कनी धैरज राखू पुरूस्कारक बिरोध नै करियौ नाना प्रकारे मनोबल तोड़बाक प्रयास करत जहिना बाभनवाद लाौबी वला सब सोलकन साहित्यकार के योजना बना आगू नै बढ़ै देत ओहिना इ पिछलगुआ सोलकन साहित्यकार सब सोलकने के आगू नै बढाउत आ ने बढअ देत. हँ पिछलगुआपनी क जी हजूरी मानक भैज के एकरा अरू के अप्पन पेट भरक चाही.
मैथिली साहित्य में सोलकन साहित्यकार सब के असलियत.
मैथिली साहित्य मे दू तरहक साहित्यकार सब यै.
पहिलुका
1. अप्पन माई के बोली छोड़ मैथिली मानक भजै गबै मे बेहाल. किए त तबे वाभन लाॅबी मठाधीश सब कनी मनी एकरा सबके मोजर देतै.
2. साहित्यिक आयोजन सब मे हकार भेटै लोभे आ कनि मनी रचना छपै लोभे मैथिल मठाधीश सबहक गुलामी करब. किए त सबटा साहित्यिक मंच संस्था बाभने सब बनौने छै आ सब ठाम ओकरे कब्जा हई.
3. कहियो मैथिली साहित्य के कुकृत्यक बिरोध नै करै जेतै. एना करला पर त मैथिली मंच एकरा सबके बाईर देतै आ रस्ता रोकने रहतै.
4. पुरूस्कार पाग लोभे मैथिली लौबी के चरणवंदन करत ओहिना जेना बाघ सबटा माउस खा थोड़बू हड्डी गुड्डी माउस नरहिया लै छोड़ देलक.
5.कभीयो सोलकन साहित्यकार के मंच निर्माण करै लै नै सोचत.
6. कोनो साहित्यिक आयोजन वा लौबी बिरोध बेर मे चोरनुकबा बनल निपत्ता रहै जाएत आ उनटे उपदेश देत जे मैथिली साहित्य मे ओहिना होइत आबि रहलै. की करबै लै.
7. सोलकन साहित्यकार सबके मोजर दियाबै लै कोनो प्रयास जतन नै करत. हं पिछलगुआपनी अपन नाम मोजर लै अबस्से हो हो मे रहत.
8. केकरो उपेक्षा भेला होला पर कोनो अवाज नै उठाउत नै बिरोध केला पर फेर ओकरे नाम छंटा जेतै.
9. पाग मंच लोभे अप्पन मूल संस्कृति आ विध वेबहार छोड़ बभनौटी धारण क सोलकने के नाम हंसारत करत आ अपना के खूब काबिल आ मातृभाषा प्रेमी कहाउत.
10. मैथिली मानक भैज गाइब दाउ सुताइर मैथिली लाॅबी के चमचै करब आ साहित्यकार हेबाक गुमाने चूर रबह. किए त सोलकन के अप्पन साहित्यिक मंच पत्र पत्रिका सब छै ने सबटा बाभनक अधीन.
दोसर तरहक
1. सोलकन साहित्यकार सब में थोड़ बहुत संघर्ष करै वला साहित्यकार सब यै जे मंच निर्माण करै लै प्रयास त करैए लेकिन तेहेन मानसिक आर्थिक सहजोग नै भेटलै. तइयो बाभन लाॅबी सबहक षड्यन्त्रक विरोध क गाइर फज्जिहत सबटा सहै लै वेबश रहैए.
2. एकरा सबके मान सम्मान क फिकीर रहै छै आ कोनो लौबी मठाधीशक चक्कर चाइल मे नै फंसैए.
3.सोलकन साहित्यकार सबके जगेबाक प्रयास करैये लेकिन सफलता नै मिललै.
4. ई संघर्षशील सोलकन साहित्यकार सब समावेशी मैथिली लै प्रयास करै जाईए लेकिन पिछलगुआ सोलकन आ अगुआ बाभन गैंग एकरा सबके मनोबल तोड़ै मे रहैए.
5. सुप्पत गप बजै आ मैथिली लौबी के वाजिब बिरोध कारणे ई सब हरदम बारले रहैइए.
6. मिथिला मैथिली मे नव सुधार नव बिचार लै संघर्ष करैत रहलै यै.
7. समावेशी मैथिली लै कतेको लोहा लड़ाई लड़ब बेमतलबो उपहासक पात्र बनब तइयो मैथिली साहित्य कार्यक्रम सबमे जरूरी सुधार लै अवाज उठबैत रहल.
8. सोलकन साहित्य मंच के निर्माण लै जरूरी काज करै मे लागल रहत. लेकिन सोलकन सहजोगक घोर अभाव सहत.
आलेख- डाॅ. किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)