मैथिली भाषा नामकरण
सबसँ प्राचीन नाम जाहिसँ मैथिली भाषा संबोधित कएल जाइत छल से प्रमाणिकतया बुझाइत छै अवहट्ट अथवा तिरहुता-अपभंश छल! इ अपभ्रंश शब्द मिथिलामे लौकिक संस्कृत एंव प्राकृत सभसँ पृथक भाषाक रूपमे अथवा तिरहुतक स्थानीय बोली रूपमे जानल जाइत छै,जकरा महाकवि विद्यापति अपना रचनामे देसिल बयना या देसिल भाषा कहैत छथि!मध्ययुगीन मे मैथिली नामक कोनो चर्चा नहि भेटैत छै! अमीर खुसरो द्वारा बंगाल सँ पृथक कोनो गौङक भाषाकेँ मिथिलाक भाषा दिस संकेत भेटैत छै! मुदा एहि भाषाक लेल मैथिली शब्दक प्रयोग नहि कयल गेल अछि ! अंग्रेजक आगमनक बाद भारतमे नव परम्परा आयल! भाषा लिपि एंव संस्कृति पर अनुसंधानित अध्ययन आरम्भ भेल! एहि क्रममे सर्वप्रथम भारतीय भाषा सर्वेक्षण रूप के अल्फाबेटिकम ब्राह्मणानिकम नामक 1771 ई.क ग्रंथमे तिरूतिआना नामसँ मैथिली भाषाक वर्णन भेटैछ! कारण प्रदेशक नाम तिरहुता सेहो छल! 1801 ई0 मे एच टी कोलब्रुक नामक अंग्रेज अपन पुस्तक एशिआटिक रिसर्चेज मे एहि प्रदेशक भाषाक लेल mithelee वा mythili शब्दक प्रयोग भेल छै! एकरे अनुकरण करैत सर विलियम केरी एकर नामकरण mythilee कयलनि! 1853 मे सर अर्सकिन पेरी एकरा तिर्हुती नामकरण करैत छथि! एकरा बंगला भाषाक अन्तर्गत रखलन्हि! तहिना सर जान बीम्स 1867 मे एकरा माइथिली कहि हिन्दी भाषाकेँ अंतर्गत रखैत छथि !जार्ज केम्पबेल (1874ई0 मे) एकरा नवीन बिहारी भाषा कहि स्थिर कएलनि! एस एच केलोग 1876 ई0 मे मैथिलि केँ अवधी आदिक समान पूर्वी आ पुर्वीय हिन्दीक शाखा मानलनि आरो इहो घोषणा कएलनि जे ई पश्चिमी हिन्दी पंजाबी, आ बंगाला जँका पूर्णतः भिन्न भाषा छै! जे गर्सो द कुन्हा (1881 ई0 मे) मैथिलीमे कोंकनी से निकटतम संपर्क देखलनि आओर संगे भारत नेपाल आदि देशक भाषा आ बोली मे मैथिली कतेक फराक निरंतर शोध होइत रहल !आओर अंतमे जार्ज अम्र्बाहम ग्रियर्सन (1881-82ई० )एकरा बिहारी नामक कपोल कल्पित भाषाक अन्तर्गत रखलनि, यदपि वैहए मैथिली ग्रामरमे (1881-82ई0 मे) निम्नलिखित मत सेहो प्रतिपादन कयलनि -मैथिली एक गोट भाषा थिक बोली नहि थिक! ओरो लाखो जनसमुदायक जन्मजात मौलिक सहज भाषा छै जे बिना नितान्त कष्टेँ हिन्दी वा उर्दूकेँ ने बाजि सकैत छैक आ बुझि सकैत छैक! ई हिन्दी ओ बंगला दुनुसँ शब्दावली एंव व्याकरणमे पृथक छै आओर दुनुमे प्रत्येकसँ ततबे भिन्न भाषा छै जतबा मराठी वा उड़िआ आ प्रत्येक वस्तुपर स्वाभाविक गर्व छै! मुदा बंगला,उड़ीआ,असामी प्रेमी विधापति, गोविन्द दास आ लोचन, भवप्रितानंद ओझा,शंकरदेव मैथिलीक लेखक ओ कविकेँ बंगला उड़ीआ,असामी साहित्यक अंश मानैत छथि! तहिना हिन्दी प्रेमी विधापति आ आन लेखक सभकेँ हिन्दी साहित्यक मानैत छथि! मुदा आब एहि प्रकारक विवादसँ मैथिली मुक्त छै आ 2003 ई0 मे भारतीय संविधानक अष्टम् अनुसूचीमे स्वतंत्र भाषाक रूपमे शामिल कयल गेल!
© श्रीहर्ष आचार्य