मैथिली के प्रथम मुस्लिम कवि फजलुर रहमान हाशमी (शख्सियत) – डॉ. जियाउर रहमान जाफरी
मुख्यतः तीन बोली बिहारी बोलीक अन्तर्गत राखल गेल अछि, मैथिली, मगही, आ भोजपुरी। एहि मे मैथिलीक क्षेत्र पैघ अछि। ई बिहार के …
मुख्यतः तीन बोली बिहारी बोलीक अन्तर्गत राखल गेल अछि, मैथिली, मगही, आ भोजपुरी। एहि मे मैथिलीक क्षेत्र पैघ अछि। ई बिहारक अनेक जिला जेना दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, बेगूसराय भागलपुर आदिक मातृभाषा थिक आओर जाहिमे झारखंड बंगाल उड़ीसा असम यूपी आदिमे मैथिली वक्ता के संख्या बहुत छै ! मुजफ्फरपुरसँ नेपालक सीमा धरि पढ़ल-बुझल जाइछ। भाषाक सम्बन्ध ने कोनो धर्मसँ अछि आ ने कोनो जातिसँ , तकर बादो मैथिलीकेँ मिथिलाक ब्राह्मणक भाषा मानल जाइत अछि। मैथिली के विभिन्न मुस्लिम कविमे आचार्य फजलुर रहमान हाशमी के नाम पूर्ण सम्मान के रूपमे गिनल जाएत छै ।
फजलुर रहमान हाशमीक जन्म 1 जनवरी 1942 ई.केँ बराह पटनामे भेल छलन्हि। जन्मक किछु वर्षक बाद भारत-पाकक बंटवारा भेल आ ओहिमे जे दंगा भेल से बराह छोड़ि पाकिस्तान जेबाक तैयारी करए पड़ल। पिताक कुल पाँच भाइ छलनि, चारि गोटे कराची गेलाह। पिताश्री सेहो जाय चाहैत छल, मुदा ई अबोध बालक बजला, ‘अब्बा जान, की पाकिस्तान आ भारतक देवता अलग अछि? जँ एक्के अछि तँ हम सभ एतए रहब। ओ एतहि हमरा सभक रक्षा करताह। ओहि अबोध दुलरा कए ई गप्प बापकेँ ततेक नीक लगलैन्ह जे ओ एतए असगरे रहि गेलाह, आ बिहारक बेगूसरायकेँ अपन आश्रय बना लेलन्हि। ई वैह बेगूसराय छल जतय दिनकर सन कविक जन्म भेल छल आ जतय चाणक्य चन्द्रगुप्त केँ साम्राज्यक पाठ पढ़ौने छलाह।
हिनकर घरक भाषा उर्दू छलन्हि मुदा गाममे भवानंदपुर अपभ्रंशमे मैथिली बाजल जाइत छला ! अपने उर्दू सीखैत काल मैथिली मे रुचि देखौलौं। मैथिली पोथीक अध्ययन कए एहि भाषा मे लिखब शुरू केलोँ। मुसलमान हेबाक कारणेँ हुनका बहुत सम्मान भेटलनि। हिन्दी आ उर्दूमे सेहो लेखन करैत रहलाह।
हिनक पहिल पोथी हरवाहक बेटी मैथिलीमे प्रकाशित भेल। जाहिमे माँ सीताक वनवास केर मुक्तक काव्य रूपमे लिखल गेल छल। ई पोथी हिनका मैथिली साहित्य मे पहचान देलन । तत्पश्चात मैथिलीक दोसर कविता संग्रह निर्मोहीक नाम पर प्रकाशित भेल। देखैत-देखैत हिनक कविता मैट्रिक, इंटर आ बीए केर सिलेबस मे आबि गेल, आ ओ मैथिलीक सबसँ बेसी चर्चित चेहरा बनि गेलाह। हिन्दी में भी लेखन निरन्तर चलैत रहल । हिंदी कविताक पहिल पोथी रश्मि-शशि छल, जकर भूमिका ओहि समयक आ आजुक चर्चित कवि मैथिलीशरण गुप्त आ हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखल गेल छल ।साहित्य अकादमी दिल्लीक अनेक अंग्रेजी, हिन्दी आ उर्दू पोथीक मैथिलीमे अनुवाद सेहो कएलन्हि, जाहिमे ‘मीर तकी मीर’, ‘फिराक गोरखपुरी’ आ ‘अबुल कलाम आजाद’ आदि महत्वपूर्ण अछि। अबुल कलाम आजाद के लेल हिनका मैथिली साहित्य अकादमी पुरस्कार सेहो वर्ष 2002 में भेटल छलनि। साहित्य अकादमी दिल्लीक पाँच वर्ष धरि मैथिलीक सलाहकार सेहो रहला ।
श्री हाशमी मे हाज़िर जवाबी ग़ज़ब छल। स्वर मे एकटा आकर्षण रहन । हिनक समयमे कवि सम्मेलनक संचालन आन कियो नहि करैत छल। रेडियो स्टेशन मे हुनकर आवाज गुंजायमान भ जाएत। रहै । देशक प्रति हुनका गहींर विश्वास रहलन । मुसलमाने टा नहि हिन्दू सेहो हुनका पूर्ण सम्मान दैत छलाह। रामक कथा पर प्रवचनक लेल सेहो बजाओल जाइत रहला । जतए मुसलमानक लेल हदीसक परिचय लिखने छलाह ओतहि भागवत गीताक काव्यात्मक अनुवाद सेहो उर्दूमे केलनि। ओ एकटा पैघ देशभक्त छलाह। देशक विरुद्ध सुनब हुनका नीक नहि लगैत छलनि। इमानदारी एहेन छल जे नेपालसँ घड़ी अनैत काल सेहो सीमा प्रहरीसँ अनुमति लऽ लेने छलाह। रेलवे कवि लोकनि सेहो सम्मेलनमे प्लेटफार्म टिकट लऽ कऽ प्लेटफार्म पार करैत छलाह। हिनकर प्रशंसक मे इंदिरा गांधी सेहो शामिल छलीह. ओ अटल बिहारी वाजपेयी संग काज केलनि। पद्मश्री लेल हुनकर नाम सेहो आएल मुदा बिहार सरकार अपन लापरवाही क कारण फाइल कए आगू नहि बढ़ि सकल।
हिनक हिन्दी गजल सेहो बड्ड लोकप्रिय अछि।
मेरी नींद तुम्हारे सपने हिनक हिन्दी गजल केर अनुपम संग्रह अछि। जे उनकर निधन के बाद दोसर बेर मत प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित भेल । हिनक गजलमे ऊँचाईक संग-संग गहराई सेहो अछि। एक-दू टा शेर देखल जा सकैत अछि…
ज़माने को कलंकित कर गया हूं
मिला भाई तो उससे डर गया हूं
न देखा यान में लंगर कहाँ है
मुझे तो हौसला है डर कहाँ है
दुःख का झटका पल पल क्यों है
बंद घड़ा में दलदल क्यों है
हम तुम्हारे करीब आएंगे
अपना दुखड़ा नहीं सुनाएंगे
हिन्दी आ मैथिलीक ई प्रखर कवि आ लेखक ओहि समय हार्ट अटैकक शिकार भेलाह। जखन बरखा भऽ रहल छल सबसँ बेसी बरखा। 20 जुलाई 2011 कऽ अन्हार आ डरावन राति मे ओ हमरा सब से बड्ड दुर चल गेलाह । हिनक निधनक वर्णन हुनक मैथिली कविता पर शोध करयवला छात्र लोकनि द्वारा मार्मिक ढंग सँ कैल गेल छै ।