प्रेम के जीत।
प्रेम के जीत।
एगो गांव में युवती मैथिली आ युवक रार के घर रहे। मैथिली देखें में खुब सुन्नर रहे।५फीट ३इंच के कद रहै। दूधिया रंग ,नागीन सन केश,चान सन् मुखरा,बिलरी सन आंखि,केरा के थम्भ सन जांघ, शेरनी संन कमर,अप्रस्फुटित कमल सन उरोज,आम के नयका ललका पात सन पैर, हथनी जैसन चलनाई आ कोयल जैसन बोली।जे देखे से देखते रह जाय।लोग कहे कि भगवान फुरसत के समय में मैथिली के बनैले हैय। मैथिली के बाप मैथिल लटगेना के दोकान कैलै रहे।वो भांग पीस के भी बेचैत रहे।
तहिना रार ५फीट ५इंच के बांका जमान। सांवला रंग,औठिया काला केश,राजीव सन नयन,हलका मोछ,सिंह जैसन छाती। कोनो युवती के आकर्षित करे , लेल समर्थ।रार सम्पन्न किसान के बेटा रहे।रार कभी कभी सौख में भांग भी खायत रहे।
एकटा दिन रार भांग खरीदे के लेल मैथिल के दूकान पर गेल। परंच दोकान पर मैथिल के बदले वोकर बेटी मैथिली बैठल रहें। मैथिली बोललक – बाबू जी एक महिना के लेल बाहर गेल छथिन ।तैला हम बैठल छी।बोला तोरा की चाही। रार कहलक-हम थोड़ा सा भांग लेब।सौकिया कभी कभी खा लेइ छी। मैथिली भांग रार के दे देलक।रार भी दाम ०२रुपया दे देलक।
अब रार रोज भांग खरीदे आबे लागल।वोकरा मन में मैथिली से प्रेम होय लागल।भांग आ दाम के लेन देन में दूनू के हाथक छूअन से प्रेमक तरंग एक दोसर के हृदय से प्रवाहित होय लागल। कुछ ही दिन में प्रेम अपन रंग दिखाबे लागल।अपन हाल रार अपन खास दोस्त से बतैलक ।दोस्त-तू मैथिली के लेके भाग जा।तू अपन नेपाल के कुटुंब इहां चल जा। मैथिली के बाप मैथिल तोरा न छोड़ तो।
इ सभ बात रार मैथिली के बतैलक। मैथिली बोलल-अंहा के हम प्रेम करै छी।आइए हम दूनू गोरे घर छोड़ दू। अंहा जंहा ले चलव,हम चले लेल तैयार छी।
हम दूनू गोरे मंदिर में शादी क लेव।
दो प्रेमी मैथिली आ रार जनकपुर के मंदिर में पहुच गेल। भगवान आ पुजारी के सामने रार मैथिली के मांग में सिंदूर भर देलक। अब रार मैथिली के स्वामी आ मैथिली रार के स्वामिनी बन गेल।
रार आब मैथिली के लेके अपन कुटुंब के इंहा हरिऔन (नेपाल)चल गेल। पहाड़ी जगह पर मैथिली आ रार के खूब मन लागे। पहाड़ पर घूमे। कहियो नदी में नहाय त कहियो झरना में नहाय।घंटो पहाड़ पर बैठ के प्रेम के बात करे। उन्मुक्त वातावरण में उन्मुक्त प्यार करे।अइ बीच में मैथिली गर्भवती भे गेल। एगो सुन्दर लैइका के जनम देलक। दूनू गोरे मिलके नाम रखलक अंगराज।
मैथिली के बाप अदालत में अपहरण के केस क देलक। लेकिन मैथिली आ रार लापता रहे।साल भर बाद रार आ मैथिली नवजात शिशु अंगराज संग अदालत में हाजिर भेलन। मैथिली अदालत में कहलन-जज साहब।हम आ हमर स्वामी रार बालिग छी।हम दूनू गोरे एक दोसर के प्रेम करै छी। हम दूनू गोरे पूरे होश हवास में मंदिर में शादी क लैले छी। हमरा दूनू गोरे के इ नवजात शिशु हैय। हम दूनू गोरे आब जीयब मरब साथे साथे।
जज साहब-अंहा दूनू गोरे रार आ मैथिली के विआह कानूनी रूप से जायज है।
रार, मैथिली आ अप्पन बच्चा के लेके घर आ गेल।रार के माइ अपना बहु बेटा के आरती उतार लैन। पोता सहित घर में शुभ प्रवेश करैलन।आइ मैथिली के बाप मैथिल भी खुश हैय। मैथिल कहै छथिन-बालिग बेटा-बेटी के प्रेम में माइ बाप के बाधा न बनै के चाही।आइ मैथिली के परिवार आ रार के परिवार खुश आ खुशहाल हैय।प्रेम के जीत भे गेल।
स्वरचित@सर्वाधिकार रचनाकाराधीन
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।