मैथिली आ टुटल फुटल हिंदी।
मैथिली आ टुटल फुटल हिंदी।
मैथिली आ टुटल फुटल हिंदी।पुरनका मुजफ्फरपुर जिला माने कि सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर आ वैशाली के लोग न जनैत हैय कि हमर मातृभाषा कि हैय।इंहा तक कि हमहू न अपन उमर साठ बरिस तक जनैत रहली हैय।हम सभ इहे जनत रहली हैय कि हम सभ टुटल फुटल हिंदी बोलैय छी।एकर कारण इहो रहै कि जे कर कुटुम मधुबनी आ दरभंगा वाला रहे वोकर बोली हमरा बोली से न मिले। जेना हम सभ अमधुर कही त वो लताम बोले।हम औरा बोली त वो धातृ बोले।हम सभ मधुबनी आ दरभंगा वाला के मैथिली समझी आ अपना के टूटल फुटल हिंदी बाजे वाला।अभीओ इहे हाल हैय।एनी मालूम भेल कि पुरनका मुजफ्फरपुर वाला बज्जिका बोलै हैय।एहुमे साहित्य रचल गेल हैय। लेकिन बज्जिका ब्याकरन दू हज़ार ईसबी के बाद बनल हैय आ मैथिली से अलग करे के मानक तय कैल गेल हैय। अध्ययन करे पर पता लागल कि इ पच्छमी मैथिली हैय। प्रसिद्ध भाषा वैज्ञानिक गिरियरसन अइ बात के अपन भासा सर्वेक्षण रिपोर्ट में लिखले हैय। सीता के जनम भी सीतामढ़ी मे भेल हैय।जेकर एगो नाम मैथिली भी हैय।इ मिथिला मे भी हैय।त एकर भासा मैथिली त स्वाभाविक हैय। शैली अलग हो सकै छई।अइ बात के मधुबनी आ दरभंगा के विद्वान भी अपना विद्वत्ता के अहंकार में उपेक्षित कैलन। एतबे न मैथिल महासभा केवल बाभन आ कर्ण कायथ के मैथिल माने आ पंचकोसी के बोली के शुद्ध मैथिली मानलन। सच बात कहुं त मैथिल कोकिल महाकवि विद्यापति के नकारलन।भले हुनकर मूर्ति के पूजनल। लेकिन विचार पर धूल धैलन।तैइसे मैथिली आ मिथिला सिकुरे लागल। लेकिन आबि मिथिला आ मैथिली के विद्वान के नजर अइ बात पर गेल आ वो सभ एकरा लेल अभियान चला रहल छथि।अइ शुभ काज मे अजय नाथ शास्त्री ,सचिदानंद सच्चू जी , किसलय कृष्ण आ राजीव झा एकांत आदि लागल हैय।अइ काज मे दैनिक मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश योगदान क रहल हैय।आबि इ अखबार गंगा के उत्तर के सभ जिला के भासा के मैथिली मानैत अपना मे समाहित करैत मैथिली आ मिथिला के मजबूत क रहल हैय।आइ मिथिला आ मैथिली समावेशी बन रहल हैय।आबि मिथिला के हर जिला मे मैथिली जनजागरण अभियान चलाबे के आवश्यकता हैय।जे लोग बुझे कि हम जे बोलैय छी वो टुटल फुटल हिंदी न मैथिली हैय।
-आचार्य रामानंद मंडल साहित्यकार सह सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।