#मैत्री
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★ #मैत्री ★
प्रेम ही पिता मेरे प्रेम मेरी मात है
प्रेमरस पिया हूं मैं प्रेम मेरा गात है
नींद से जुड़ें नयन हिरदे जुड़ते प्रीत से
साधन होती साधना स्वर सधता है गीत से
भाग्य सरितासावनी कर्म जलप्रपात है
प्रेमरस पिया हूं मैं प्रेम मेरा गात है
समीप हो कि दूर बहुत सत्य मन में धार लो
साथ पाओगे मुझे चाहे जब पुकार लो
प्रेम से बंधा हूं मैं प्रेम आतजात है
प्रेमरस पिया हूं मैं प्रेम मेरा गात है
नमन तुझे उदारमना मैं तेरे अधीन हूं
तू अधीन राम के मैं तुझी में लीन हूं
बस्तीबस्ती पर्वतपर्वत प्रेमकथा यह ख्यात है
प्रेमरस पिया हूं मैं प्रेम मेरा गात है
पीर हुई तभी तुझे शूल चुभा मेरे पांव में
दीखते दो हैं हम हैं एक चर्चा गांव में
भीजे सबजन चतुर्दिक बरसे बरसात है
प्रेमरस पिया हूं मैं प्रेम मेरा गात है
कौन हों मातपिता मैंने कहा न उसने सुना
जानता है जग मुझे तुझे मीत मैंने चुना
काली रात भी मेरी प्रेमपगी परभात है
प्रेमरस पिया हूं मैं प्रेम मेरा गात है
कृष्णसुदामा दो हुए दो ही हैं हमारे तन
एक हुए हरि हमारे एक ही हरिभजन
तेरा मन और मेरा मन प्रेमसदन – प्रेमसदन
प्रेमसदन !. . . प्रेमसदन !!. . .प्रेमसदन !!!
( मित्र सुरेंद्रपाल धीमान के नाम )
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४५५०१७३१२