मैं …..
जब से माँ की उंगली छूटी,
बहुत रोई हूँ, मैं !!
अकेले चलते-चलते,
बहुत डरी हूँ, मैं !!
ज़िन्दगी की राह में,
हमेशा आगे ही बढ़ी हूँ, मैं !!
खुली आँखों से देखे सपनों को,
सँजो रही हूँ, मैं
सहारे की चाह न की,
सहारा बनी हूँ, मैं !!
जीवन के अंतिम पड़ाव में,
अपनों को खोज रही हूँ , मैं !!
कोई तो रोक ले ,
बहुत थक गई हूँ, मैं !!