मैं होली कैसे खेलूँ
शीर्षक :- मैं होली कैसे खेलूँ
रचनाकार:- डी के निवातिया
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विषय : – होली
कोई रंग न मोहे भाये, मोरा दिल चैन न पाएं
मै होली कैसे खेलूँ, मोरे साजन घर न आएं !!
रंग-रंग के यहां फूल खिले
देख-देख मोरा जिया जले
कैसे आये उसको सुकून
जिसके बालम घर न आएं !!
कोई रंग न मोहे भायें, मोरा दिल चैन न पाएं
मै होली कैसे खेलूँ, मोरे साजन घर न आएं !!
सखी सहेली मिल फाग गावे
हँस हँस कर सब मोहे चिढ़ावें
मै विरहन घुट घुट कर जिऊँ
कैसे करूँ इस दिल का उपाये !!
कोई रंग न मोहे भायें, मोरा दिल चैन न पाएं
मै होली कैसे खेलूँ, मोरे साजन घर न आएं !!
अमवा पे बैरन कोयल गाती
कुहू-कुहू कर वो मुझे चिढ़ाती
सुन-सुन कर उसकी बोली को
मेरे कान के पर्दे फट-फट जाये !!
कोई रंग न मोहे भायें, मोरा दिल चैन न पाए
मै होली कैसे खेलूँ, मोरे साजन घर न आएं !!
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डी के निवातिया