मैं हैरतभरी नजरों से उनको देखती हूँ
मैं हैरतभरी नजरों से उनको देखती हूँ
जो कहते हैं वो मुझे समझते हैं या समझ चुके हैं
मैं सोच में पड़ जाती हूँ
मैं खुद अब तक खुद को न जान पायी
ये कैसे मुझे जानते और समझते हैं
फिर मुझे लगता है इनके दावे कहीं खोखले तो नहीं
या फिर सच में क्या ये मुझे मुझसे ज्यादा सोचते और समझते हैं
🌱अधूरा ज्ञान🌱