मैं हूं कार
मैं हूं कार
कार मैं सबका यार
मुझ बिन जाना बेकार।
कार मैं सबका यार
सफेद ,काला,लाल,गुलाबी
काम आता समाजोपयोगी
जो मेरी देखभाल करता
मैं उसकी सुरक्षा करता।
कार मैं सबका यार..
नियम,नियंत्रण संतुलन से
जो चलाएगा मुझे
उस यात्री को गंतव्य तक
ले जाना मेरा काम।
कार मैं सबका यार..
अच्छा लगता है मुझे
ट्रैफिक नियमों में
यातायात का साधन मै हूं
सेवा में तत्पर रहता हूं।
कार मैं सबका यार…
हे भाइयों! मुझे न चलाना
करके नशापान।
दुर्घटना से बिखर जाता हूं
तुम भी हो अपने मां के लाल।
कार मैं सबका यार…..
रचनाकार
संतोष कुमार मिरी
शिक्षक जिला दुर्ग