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16 Jan 2020 · 1 min read

मैं हूँ प्रेम की पुजारिन

11212 122 11212 122
गीत

मैं हूँ प्रेम की पुजारिन, वही प्रेम चाहती हूँ।
जपूँ साँसों की मैं माला, उसी को पुकारती हूँ।।

लगे राधा-कृष्ण जैसा, कभी सबरी-राम जैसा।
करूँ तप मैं गौरा बनके, मेरे शिव को माँगती हूँ।।

दिखे रूप उसमे मेरा, मुझे प्रेम इस क़दर है।
बसा है जो मन में मेरे ,मैं उसी को पूजती हूँ।।

कभी तो मिलेंगे दर्शन, इसी आस में है जीवन।
मेरा मन बना है मंदिर, वही छब निहारती हूँ।।

कभी तो वो ध्यान देगें, मुझे वो निहार लेंगें।
यही सोच सोच कर मैं, ख़ुदी को सँवारती हूँ।।
✍?श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव ?

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Comment · 299 Views
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