मैं हूँ आरक्षण !
“मैं हूँ आरक्षण !”
तुम क्या जानो इतिहास मेरा,
रक्षा करना धर्म है मेरा,
यहीं परिचय और इतिहास मेरा।
उत्पन्न कैसे,कब हुआ ?
महत्त्व नहीं है इसमें मेरा।
भेद मिटाने मैं आया था,
जाने किसका अवतार हूँ ?
शिल्पी मेरा कलयुग है।
हाँ ! शिल्पी मेरा कल का युग है।
मैं शिल्पी कल के युग का।
मैं खड़ा राजनीति के चौराहे पर,
सत्ता के गलियारों में मुकाम है।
बाते करता हूँ शोषित,पिड़ित,
वंचित जनसमुदायों की।
किन्तु! बढ़ती पूँजी मेरी नहीं ?
वादों और विवादों में
सियासी संवादों में,
बना दिया दास मुझे
कर दिया उदास तुझें(सामान्य जन)
किसके कर्त्तव्य अधिकार पर,
प्रश्न चिह्न लगाऊँ मैं ?
तन्हाई के बादल छाये
कैसे मंगल गाऊँ मैं।
चारों और त्राही-त्राही
लूट मचाये घर के माही।
मैं आरक्षण हूँ या आतंकवादी हूँ ?
मैं भक्षक हूँ या रक्षक हूँ ?
किसने उठाये सवाल मेरी साधना पर?
मैं इस जग का,नया साधक हूँ !
साधक हूँ,आराधक हूँ।
ना मैं तेरा,ना किसी का अपराधक हूँ।
ना किसी की प्रगति का बाधक हूँ।
मैं आरक्षण हूँ, साधक हूँ !
सभी की चेतना का कारक हूँ।
गूँगा नहीं मैं बोलता हूँ,
आराधक हूँ मैं ! साधक हूँ !
ऊँच-नीच सब मेरे अंगी
पर ना किसी का पातक हूँ।
जातक हूँ मैं,चातक हूँ,
तेरी कामना का पूजक हूँ।
जन-मन की संवेदना का वाहक हूँ।
हाँ ! मैं साधक हूँ,आराधक हूँ !
चेताया मैंने सबको है!
राह निकालो,मुझे बचाओ !
झगडों मत,हे वीर साधकों !
पुकार-पुकार के कहता हूँ !
मैं साधक हूँ,आराधक हूँ !
ज्ञानीचोर
9001321438