“मैं ही काफी हूं”
अरे-भागवान! बहुत मुश्किल से संभली हो बीमारी से! सफर में संभलकर जाना!सुनकर रश्मि बोली!जी पतिदेव जीवन में तमाम उतार-चढ़ावों को पार करते हुए, उम्र के इस पड़ाव पर आकर लगा! कैसे मैने घर-नौकरी के साथ, बुजुर्गों की सेवा करते हुए, बच्चों को झुलाघर में रखकर भी सामंजस्य बिठाते हुए उनकी परवरिश की और वक्त की रफ्तार में बच्चे कब बड़े हो गए?पता ही नहीं चला।फरवरी में परिक्षाओं के कारण जरूरी है न जाना।
अब इस लॉकडाउन में बच्चों के साथ-साथ पतिदेव भी घर से ही ऑनलाइन-कार्य को दे रहें अंजाम तो सोशल-मीडिया के साथ मैं भी पूर्ण-आत्मविश्वास से कहुं!मैं ही-काफी-हूं।