मैं हिन्दी हूँ..
मैं हिंदी हूं अपने दिल की व्यथा बताती हूं।
देश के दुर्भाग्य की कथा सुनाती हूँ।।
पश्चिमी सभ्यता ने मुझे बहुत कष्ट दिया है
मेरे अस्तित्व को उसने नष्ट किया है
देश के लोगों की ऐसी मानसिकता बताती हूं
मैं हिंदी हूं..
अंग्रेजी शासन ने मुझ पर अत्याचार ढहाए
आश्रम, गुरुकुल तुड़वाकर इंग्लिश स्कूल बनवाएं
ऐसे क्रूर मैकाले की मैं नीति बताती हूं
मैं हिंदी हूं..
14 सितंबर 1949 को मेरा फिर से पुनर्जन्म हुआ
देश की एकता के लिए मेरा ही चयन हुआ
इसलिए सिर्फ क्या आज मैं हिंदी दिवस मनाती हूं
मैं हिंदी हूं…
आज पूरा दृश्य परिवर्तित हो गया
कल तक था जो भारतवर्ष आज इंडिया हो गया
मैं अपने भावों को स्पष्ट समझाती हूं
मैं हिंदी हूं….
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आज अपने देश में ही मैं बेगानी हो गई
सब लोग इंग्लिश वाचन करते हैं मेरी निशानी खो गई
वो स्नेह और वात्सल्य की भाषा तुम्हें सिखलाती हूं
मैं हिंदी हूं…
मैं किसी भाषा से ईर्ष्या नहीं करती हूं
सभी मेरी बहने हैं मैं अपना पक्ष धरती हूं
आज मेरे देश के पुत्रों को मैं मातृ प्रेम सिखाती हूं
मैं हिंदी हूं…
कृष्ण कुमार ‘धत्तरवाल’