मैं स्कूल हूं
मैं स्कूल हूं स्कूल हूं छोटे बच्चों का स्कूल हूं
नन्हें मुन्हें बालक मेरे, आ जाओ अब पास हमारे
मुझको तेरी याद सताए, तेरे बिना मुझे नींद न आए
आंखे मेरी राह में बैठी, आए तु जो रौनक बन जाए
क्या रौनक थी पहले मुझमें, जब तु आए शोर मचाए
आजा फिर से पास तु आजा,तेरा बिछड़ा यार बुलाए
मकरो ने मुझको फांस लिया है, हर दिन एक दो जाल बनाए
आजा नन्हें मुन्हें साथी, तुझको बिछड़ा तेरा यार बुलाए
पग मेरे ये बिखर रहें हैं, आए तु तो मलहम लग जाए
दरवाजों पर दीमक हैं बैठे, खिड़की यही आवाज लगाए
टेबल कुर्सी पर जमी है मिट्टी,मन कहे लिख दूं एक चिठ्ठी
महामारी ने हम को दूर किया न मिल पाए हम तुझसे जल्दी इतना मुझको मजबूर किया।
स्कूल हूं स्कूल हूं छोटे बच्चों का स्कूल हूं
आजा नन्हें मुन्हें साथी तुझको तेरा बिछड़ा यार बुलाए।
संजय कुमार✍️✍️