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29 Jun 2020 · 1 min read

मैं सौदागर कच्चा हूँ।

क्यों तोलते हो समझदारियां मेरी।
अभी भी दिलसे मासूम बच्चा हूँ।

बिकता है इमान सरेबजार यहाँ।
इस बाजार में मैं सौदागर कच्चा हूँ।

शक्ल न देख हूँ बड़ा बदसूरत मैं।
दिल में झाँको तो आदमी अच्छा हूँ।

लोग जीते है मीठे झूठ बोलकर।
मैं हरदम मरने वाला बेबाक सच्चा हूँ।

बदलते वक्त के साथ बदल जाउंगा मै।
मैं कहां कोई ठहरा सदियों का गुच्छा हूँ।
-शशि “मंजुलाहृदय”

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