मैं समय हूं
चलता हूं अपनी रफ्तार से
नहीं रुकता किसी के इंतज़ार से
नहीं फर्क पड़ता मुझे किसी की हार से
मैं तो चलता हूं बस अपनी रफ्तार से
मत आज़माओ मुझे समय हूं मैं
हर युग के अंत में आता है वो प्रलय हूं मैं।।
शाम को सुबह करता हूं और
फिर सुबह को शाम करता हूं
बड़े बड़ों को आज़माता रहता हूं
मत समझना मैं किसी से डरता हूं
मत आज़माओ मुझे समय हूं मैं
हर युग के अंत में आता है वो प्रलय हूं मैं।।
किसी दिन नाम करता हूं तो
किसी दिन बदनाम करता हूं
अमीर हो या हो फिर गरीब
मैं सबको बराबर समझता हूं
मत आज़माओ मुझे समय हूं मैं
हर युग के अंत में आता है वो प्रलय हूं मैं।।
सृष्टि को बनते देखा है मैंने
सृष्टि को बदलते देखा है मैंने
समझता था खुद को जो खुदा
ऐसे सूरज को ढलते देखा है मैंने।।
मत आज़माओ मुझे समय हूं मैं
हर युग के अंत में आता है वो प्रलय हूं मैं।।
मत जाने दो यूं ही तुम मुझे
पल जीवन के लेकर जाता हूं मैं
सोचते ही रहे तो पता भी नहीं चलता,
कब आता हूं और कब जाता हूं मैं
मत आज़माओ मुझे समय हूं मैं
हर युग के अंत में आता है वो प्रलय हूं मैं।।
है कोई नहीं जो बांध पाए मुझे
एक दिन सबको बांध लेता हूं मैं
है सबकुछ छिपा मेरे ही गर्भ में
वक्त पर सबको बता देता हूं मैं
मत आज़माओ मुझे समय हूं मैं
हर युग के अंत में आता है वो प्रलय हूं मैं।।