मैं सत्य हूँ
सत्य की खातिर सुकरात
ने पिया जहर का प्याला,
डिगा नही पाया उनके इरादों को
मोत का खोफ भी।
इस तरह एक महान जिंदगी
सच्चाई के मोर्चे पर गयी हारI,
सत्य को अपने आचरण में
जीने वाले लोग सदियो से
धरती पर न सही
इतिहास में सदा अमर रहे है।
सुकरात भी उन्ही में से एक थे
यूनान के महान दार्शनिक
सुकरात का जीवन ,
उनके आदर्शो और सिद्धांतओ
का सजीव उदाहरण है।
उन्होंने दार्शनिकता को
फलक से उतार कर
जमीं पर लाकर खड़ा कर दिया।
उनकी चेतना में थी
इतनी सृजन झमता थी
कि आगे दो पीढ़ियों तक
अपनी धारा को चला सके।
उनके आखरी अल्फाज थे
(मै सत्य हूँ-सत्य कभी नही मरता)
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