मैं सत्य सनातन का साक्षी
मैं सत्य सनातन का साक्षी
मैं सत्य सनातन का साक्षी
मैं पंचतत्व दिग्दर्शक हूॅ।
हूॅ अनल,हुताशन सृष्टि में
मैं दिग्दिगंत आकर्षक हूॅ।।
मैं सत्य सनातन……….१
उज्वल भावों का आकांक्षी
गंगा धारा समदर्शक हूॅ।
निर्विकार बन जन जन में
मैं सागर सा उत्कर्षक हूॅ।।
मैं सत्य सनातन…………..२
सद् पाञ्चजन्य हूॅ शुभाकांक्षी
हुंकार सत्य का सर्जक हूॅ।
करता मिथ्या भंग सदा
साधना, सत्य दिग्दर्शक हूॅ।।
मैं सत्य सनातन…………..३
मैं सत्य अहिंसा का वांछी
कण -कण हित अभिलाषक हूॅ ।
अश्वत्थ वृक्ष त्रैलोक्य विराजित
हित साधन का परिभाषक हूॅ।।
मैं सत्य सनातन…………..४
•© मोहन पाण्डेय ‘भ्रमर ‘
हाटा कुशीनगर उत्तर प्रदेश
२मार्च २०२४