Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Nov 2021 · 1 min read

मैं शायर कैसे बना!

इस क़दर परेशान
ज़िंदगी हो गई
कि देखते-देखते
शायरी हो गई…
(१)
हाल अपना
कहते न बना
चुपचाप भी
रहते न बना
मुझ पर तारी एक
बेखुदी हो गई
कि देखते-देखते
शायरी हो गई…
(२)
मैं इश्क़ में
नाकाम हुआ
चारों तरफ़
बदनाम हुआ
मेरी जान की दुश्मन
आशिकी हो गई
कि देखते-देखते
शायरी हो गई…
(३)
दूर-दूर तक
अंधेरा था
दिखता नहीं
सबेरा था
ख़ुद को जलाते ही
रोशनी हो गई
कि देखते-देखते
शायरी हो गई…
(४)
बारात आई
धूमधाम से
दुल्हन बनी
वह शान से
कुछ रस्मों में क़ैद
हर ख़ुशी हो गई
कि देखते-देखते
शायरी हो गई…
(५)
कभी दुनिया से
कभी अपनों से
कभी क़िस्मत से
कभी सपनों से
चोट ख़ाके हंसा और
बंदगी हो गई
कि देखते-देखते
शायरी हो गई…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
(A Dream of Love)
#BolywoodGenius

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 224 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
प्रेम वो भाषा है
प्रेम वो भाषा है
Dheerja Sharma
हर मंजिल के आगे है नई मंजिल
हर मंजिल के आगे है नई मंजिल
कवि दीपक बवेजा
Sonam Puneet Dubey
Sonam Puneet Dubey
Sonam Puneet Dubey
2819. *पूर्णिका*
2819. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुम
तुम
Sangeeta Beniwal
24)”मुस्करा दो”
24)”मुस्करा दो”
Sapna Arora
साथ समय के चलना सीखो...
साथ समय के चलना सीखो...
डॉ.सीमा अग्रवाल
मिट्टी का खिलौना न जाने कब टूट जायेगा,
मिट्टी का खिलौना न जाने कब टूट जायेगा,
Anamika Tiwari 'annpurna '
जिन्दगी की किताब में
जिन्दगी की किताब में
Mangilal 713
अ-परिभाषित जिंदगी.....!
अ-परिभाषित जिंदगी.....!
VEDANTA PATEL
"चुभती सत्ता "
DrLakshman Jha Parimal
हाथ की उंगली😭
हाथ की उंगली😭
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
गरिबी र अन्याय
गरिबी र अन्याय
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
कृतघ्न अयोध्यावासी !
कृतघ्न अयोध्यावासी !
ओनिका सेतिया 'अनु '
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
राम
राम
Sanjay ' शून्य'
पहले मैं इतना कमजोर था, कि ठीक से खड़ा भी नहीं हो पाता था।
पहले मैं इतना कमजोर था, कि ठीक से खड़ा भी नहीं हो पाता था।
SPK Sachin Lodhi
कृष्ण मुरारी आओ
कृष्ण मुरारी आओ
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
पुरुष की वेदना और समाज की दोहरी मानसिकता
पुरुष की वेदना और समाज की दोहरी मानसिकता
पूर्वार्थ
प्रेम - पूजा
प्रेम - पूजा
Er.Navaneet R Shandily
चार लोगों के चक्कर में, खुद को ना ढालो|
चार लोगों के चक्कर में, खुद को ना ढालो|
Sakshi Singh
*कहीं जन्म की खुशियॉं हैं, तो कहीं मौत का गम है (हिंदी गजल ग
*कहीं जन्म की खुशियॉं हैं, तो कहीं मौत का गम है (हिंदी गजल ग
Ravi Prakash
राजकुमारी
राजकुमारी
Johnny Ahmed 'क़ैस'
बंसत पचंमी
बंसत पचंमी
Ritu Asooja
किसान आंदोलन
किसान आंदोलन
मनोज कर्ण
क्यों नहीं लोग.....
क्यों नहीं लोग.....
Ajit Kumar "Karn"
आओ चलते हैं
आओ चलते हैं
Arghyadeep Chakraborty
"सबूत"
Dr. Kishan tandon kranti
*हुस्न तेरा  है  गरूर भरा*
*हुस्न तेरा है गरूर भरा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ज़िंदगी मोजिज़ा नहीं
ज़िंदगी मोजिज़ा नहीं
Dr fauzia Naseem shad
Loading...