मैं शक्तिशाली नारी हूँ
समय की सीमा से परे
जीवन गागर में भरे,
अजेय अमर प्रशस्त हूँ
स्वयं धरा समस्त हूँ।
मैं सत्त्व का सार हूँ
मैं सत्य का आधार हूँ,
अडिग अनंत अचल हूँ
प्रलय सी मैं प्रबल हूँ।
मैं शून्य की प्रभारी हूँ
मैं शक्तिशाली नारी हूँ,
मैं शक्तिशाली नारी हूँ।
मैं दुर्गा की दहाड़ हूँ
मैं शक्ति का प्रहार हूँ
मैं वारही की सृष्टियाँ
मैं वैष्णो का संहार हूँ।
भुवनेश्वरी सी अबाह हूँ
कमला सी मैं प्रवाह हूँ
छिन्नमस्ता का संतुलन
मैं चंडी का आवाह हूँ।
साहस भरी अटारी हूँ
मैं शक्तिशाली नारी हूँ,
मैं शक्तिशाली नारी हूँ।
सीता का अभिमान हूँ
मैं पावकी का ज्ञान हूँ
धूमावती का मोक्ष मैं
मैं पार्वती का ध्यान हूँ।
मैं रात्रि सी अजर हूँ
उषश सी मैं अमर हूँ
भवानी का न्याय हूँ
मैं भैरवी निडर हूँ।
काल-चक्र की सवारी हूँ,
मैं शक्तिशाली नारी हूँ,
मैं शक्तिशाली नारी हूँ।
मैं भूमि का धैर्य हूँ
मोहिनी का सौंदर्य हूँ
गायत्री की पवित्रता
कामाख्या का शौर्य हूँ।
मैं ज्येष्ठा का रोध हूँ
मैं काली का क्रोध हूँ
निऋती का भय हूँ मैं
मैं दिती का प्रतिशोध हूँ।
त्रिलोक से भी भारी हूँ,
मैं शक्तिशाली नारी हूँ,
मैं शक्तिशाली नारी हूँ।
क्षमा का मैं स्वरुप हूँ
दया का मैं प्रारूप हूँ
मैं आदि हूँ यथार्थ हूँ
आरंभ की कथार्थ हूँ।
मैं ही मही मैं ही गगन
मैं ही लक्ष्मी का नमन
जीवन का मैं पर्याय हूँ
सृष्टि का मैं अध्याय हूँ।
मैं भाग्य की पिटारी हूँ
मैं शक्तिशाली नारी हूँ,
मैं शक्तिशाली नारी हूँ,
मैं शक्तिशाली नारी हूँ ।।
-जॉनी अहमद “क़ैस”