मैं कोशिशों पर बार -बार लिखता हूँ ! मैं दोस्तों पर ऐतबार लिखता हूँ !
मेरी कलम मुझसे पूछती है.. तुम आखिर लिखते क्या हो…
मैं वक़्त की पुकार लिखता हूँ!
मैं दिल से खुले विचार लिखता हूँ !
मैं सबकी सोच पर प्रहार लिखता हूँ !
मैं कोशिशों पर बार -बार लिखता हूँ !
मैं दोस्तों पर ऐतबार लिखता हूँ !
मैं बेसहारों पर वक़्त की मार लिखता हूँ !
मैं उम्मीदों पर इनकार लिखता हूँ !
कोई समझ जाये बात तो.. उन पर मैं स्वीकार लिखता हूँ !
मेरे मन से जुड़े तार सारे..
मैं मन से ना कभी व्यभिचार लिखता हूँ !
दुश्मनों में रहकर भी दोस्तों-सा व्यवहार लिखता हूँ !
दिल टूटने लगे है.. बहुत आजकल
टूटते भरोसे पर मैं दफ़ा -ऐ-तकरार लिखता हूँ !
आशिकी भी हमने देखी, दिललगी भी हमने देखी,
इस इश्क़ के आलम पर डूबती हुई मझधार लिखता हूँ !
ज़िन्दगी गुज़र तो रही है मगर… सुकून कहीं भी नहीं
इस तंग जिंदगी को मैं बेकार लिखता हूँ !
बहुत सारे पैसे और बहुत सारे उपहारों से ही प्यार नहीं ज़ताते,
दो घड़ी सुकून से बातें करना, एक दूसरे के जज़्बातों को समझना और एक -दूसरे की दिल से इज़्ज़त करना.. इसे मैं प्यार लिखता हूँ!
हर कोई जिंदगी की दौड़ में आगे बढ़ना चाहता है,
कोई बहुत पैसा कमाना चाहता है तो कोई बहुत बड़ी पहचान बनाना चाहता है…
इसे मैं लोगों का स्वार्थ लिखता हूँ !
सच्चे रिश्तों को ज़लील किया जाता है और झूठे- मक्कार लोगों से जान-पहचान बनाते हो,
ऐसे दुराचार पर मैं शर्मशार लिखता हूँ !
❤️ Love Ravi ❤️