मैं मित्र समझता हूं, वो भगवान समझता है।
मैं मित्र समझता हूं, वो भगवान समझता है।
मैं हूं प्रतिछाया उसकी,वो शान समझता है।।
संरक्षक सुभता का है, वो मान समझता है।
है रिश्ता ये मित्रों का, हिंदुस्तान समझता है।।
जय हिंद
मैं मित्र समझता हूं, वो भगवान समझता है।
मैं हूं प्रतिछाया उसकी,वो शान समझता है।।
संरक्षक सुभता का है, वो मान समझता है।
है रिश्ता ये मित्रों का, हिंदुस्तान समझता है।।
जय हिंद