मैं मायूस हूँ पर बेचारा नहीं हूँ।
मैं मायूस हूँ पर बेचारा नहीं हूँ।
अब तक मुश्किलों से मैं हारा नहीं हूँ।
मोहब्बत ने जालिम निकम्मा बनाया,
मैं मजबूर हूँ पर नाकारा नहीं हूँ।
ये कठिन रास्ते मैंने खुद से चुना है,
मैं उफनती नदी हूँ किनारा नहीं हूँ।
चोट खाकर भी स्वर से ना फिरूँगी,
मैं कोई टूटा हुआ इकतारा नहीं हूँ।
धूमता-फिरता सिर्फ तुम्हें ढूँढता हूँ,
मैं फिदरत से कोई आवारा नहीं हूँ।
मेरे साथ चलती है सबकी दुआएं,
मैं बेघर हूँ पर बेसहारा नहीं हूँ।
हम तो टूटकर बिखर जायेंगे उस दिन,
जिस दिन तुम कहोगे कि तुम्हारा नहीं हूँ।
-लक्ष्मी सिंह