मैं मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की बात कर रहा हूं
समाज में खाई तुम्हारी ही बनाई हुई है
इसमें गिर भी तुम्हेी रहे हो
रिश्तो में ये आग भी तुम्हारी ही लगाई हुई है
इसमें जल भी तुम्हीं रहे हो
अपनों के बीच यह दीवार भी तुम्हारी ही बनाई हुई है
सिर भी इस पर तुम्हें पटक रहे हो
क्या रामायण नहीं पढा तुमने ?
क्यों श्रीराम को भुला दिया तुमने ?
क्यों गीता नहीं पढी तुमने ?
भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों को ठीक से सुना नहीं तुमने
एक ने शबरी के जूठे बैर खाए
तो दूसरे ने ग्वालों संग माखन खायी
तुम तो उनके हाथ का पानी तक नहीं पीते
जिन्होंने तुम्हें रामायण बताई
स्नातन है वसुधैव कुटुंबकम मानने वाला
तुम किस किताब की बात मान रहे हो
कौन मनु ?, किसकी स्मृति ?
मैं मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की बात कर रहा हूं
तुम किसकी बात कर रहे हो ?