मैं मधुर भाषा हिन्दी
मैं मधुर भाषा हिन्दी
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कवि, डॉ विजय कुमार कन्नौजे छत्तीसगढ़ रायपुर आरंग अमोदी
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हिन्दी साहित्य की वाणी
है अद्भुत जिनके रूप।
साहित्य सागर की गहराई
नाप सकय नही धुप।।
बोली भाखा सरल है,
साहित्य सृजन कठिन।
शब्द चयन शब्दकोश
ब्याकरण बड़ा मशीन।।
करत नित अभ्यास से
मुरख होय सुजान।
सद्गुरु चरण सत्संग से
सद मिलते है ज्ञान।।
कवि विजय अज्ञानी को
मिला गुरू भगवान।
वीणा धारिणी सद कृपा
आशीष दिया बखान।।
मधुर भाषा भारत की
कवि जन करत सम्मान
अतिप्रिय मोही कवि गण
लिखते वेद पुराण।।
गीता रामायण वेद पुराण
लिखते कवि महान।
मीरा तुलसी सुर सभी ने
गाया सद गुणगान।।
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