मैं भारत का जन गण
मैं भारत का जन गण मुझको,
लड्डू दोनों हाथ चाहिए।
वोट नहीं डालूंगा लेकिन
सिर पर सबका हाथ चाहिए।।
सड़क घेर कर बैठूंगा पर,
निर्मल यातायात चाहिए।
नाली भर दूं कचरे से, पर
जल का सतत निकास चाहिए।।
बिजली मुझको नहीं बचानी,
पर बिल पूरा माफ चाहिये।
पेड़ लगाऊँ नहीं एक,
पर मौसम बिल्कुल साफ चाहिये।
नहीं समस्या बतलाऊं,
पर निर्णय मुझे तुरंत चाहिये।
ले देकर सब काम कराऊँ,
भ्रष्टाचार का अंत चाहिये।।
घरबाहर कचरा बिखराऊं,
शहर हमेशा साफ चाहिये।
काम न धेले भर का लो,
पर वेतन तो टिपटॉप चाहिये!
लाचारी से लाभ उठाऊँ,
फिर भी ऊँची साख चाहिये।
नेता ने एक बात कही,
खाते में पन्द्रह लाख,चाहिए।।
लोन व्याज से मुक्त मिले
पर बचत पे पूरा व्याज चाहिये।
जो फ्री बिजली पानी दे, उस
गधे के सिर पर ताज चाहिये।।
धर्म जाति पर आरक्षण लूं ,
देश धर्मनिरपेक्ष चाहिए।
तिनका भी सरका न सकूँ पर
दर्जा मुझे विशेष चाहिये।।
टैक्स न दूँगा धेले भर,
लेकिन विकास रफ्तार चाहिये।
मुझे किसी से क्या मतलब,
सबकुछ मेरे अनुसार चाहिए।।
मैं भारत का जन गण मुझको,
लड्डू दोनों हाथ चाहिए।
वोट नहीं डालूंगा लेकिन
सिर पर सबका हाथ चाहिए।।