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30 Dec 2021 · 1 min read

126. मैं बेसहारा ही ठीक हूँ

सहारों की जरूरत नहीं है मुझे,
मैं बेसहारा ही ठीक हूँ ।
जब जब सहारा लेता हूँ किसी का,
लगता है उसे मैं कमजोर हूँ ।।

आदत भी लग जाती है हमें,
हमेशा किसी न किसी के सहारे की।
लोगों को भी लगता ऐसा,
ये खुद से चलने वाला नहीं ।
ये अपने से कुछ भी करनेवाला नहीं ।।

नाम उसी का होता है,
जो खुद से आगे बढ़ता है ।
औरों के भरोसे जो रहता है,
वो भविष्य में पछताता है ।
वो भविष्य में पछताता है ।।

अरे खुद के दम पे,
जरा दो पग चलकर तो देखो तुम,
गर चल पाये तो जग जीत गये ।
और ना चल पाये,
तब समझो तुम हार गये ।।

हार गये हो तो सहारा लो ।
गर जीत गये तो सहारा दो ।।

सहारा लेना कोई बुरी बात नहीं ।
पर सहारा किसी मजबूत का लो,
किसी कमजोर का नहीं ।
जो किसी और के सहारे हो,
वो किसी और को सहारा क्या देगा ।।

गर जो कोई तुम्हें बिन लालच के,
तन मन धन से सहारा दे दिया,
उसे मानो तुम भगवान ।
धरती पर ऐसे लोग मिलते कम हैं,
क्योंकि वे लोग ही होते हैं असाधारण इंसान ।।

कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 30/12/2021
समय – 03 : 45 ( सुबह )

Language: Hindi
262 Views
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