मैं बेवजह ही मायूस रहता हूँ अपने मुकद्दर से
मैं बेवजह ही मायूस रहता हूँ अपने मुकद्दर से
खुदा ने वही तो दिया जिसके मुझे काबिल समझा
मेरी जगह किसी और को दिया होता दर्द इतना
तो शायद आज मैं मैं नहीं और वह वह नहीं होता
मैं बेवजह ही मायूस रहता हूँ अपने मुकद्दर से
खुदा ने वही तो दिया जिसके मुझे काबिल समझा
मेरी जगह किसी और को दिया होता दर्द इतना
तो शायद आज मैं मैं नहीं और वह वह नहीं होता