मैं बेटी हूं ____ कविता
मैं बेटी हूं पढ़ सकती हूं__
आगे आगे बढ़ सकती हूं ।
मुझको ना उड़ने से रोको_
मैं अंबर तक उड़ सकती हूं ।
मैं बेटी हूं पढ़ सकती हूं।
अबला कहकर न अपमान करो।
मैं हर घर की शान सम्मान करो।।
हिमालय पर भी चढ़ सकती हूं।
मैं बेटी हूं पढ़ सकती हूं।।
मैंने भी शत्रु हराए हैं_
अच्छे अच्छों को डराए है ।
आए बेरी अगर सामने _
मौत के घांट जकड़ सकती हूं ।
मैं बेटी हूं लड़ सकती हूं।।
दे दो मुझको जिम्मेदारी_
हर कर्तव्य निभा दूंगी ।
किसी क्षेत्र रहूं न पीछे _
नव चिंतन नई आभा दूंगी ।
सपने जो देखे देश ने मेरे_
उन सबको गढ़ सकती हूं।
मैं बेटी हूं लड़ सकती हूं।।
राजेश व्यास अनुनय