मैं बेटी हूँ।
मैं बेटी हूँ!
मुझ पर करो नही
आप सब अत्याचार ।
नही मारो मुझे कोख में ,
मुझको भी दो जीने का अधिकार।
मुझे भी प्यार का हक दो,
मुझको भी दो पढने का अधिकार।
मुझे भी आगे बढने दो,
मेरे लिए भी खोल दो संसार।
माना बेटे ले जाते हैं
आपको स्वर्ग के द्वार।
पर मै बेटी आपके
प्यार की खातिर ,
धरती पर ही ले आऊंगी
स्वर्ग को उतार ।
मै बेटी!
सुख शान्ति,लक्ष्मी से ,
आपका घर भर देती।
मिल जाता मुझको जो
आप सब से थोड़ा सा प्यार।
मुझे आपके धन-दौलत की
कोई भी जरूरत नहीं है
आप सबकी प्यार भरी
एक नजर ही काफी है।
देखना हो कभी आजमा कर
तो मेरी परीक्षा ले लेना ।
आपके थोड़े प्यार के बदले में,
दे दूंगी हँसते-हँसते जान।
आप सब क्यों भूल जाते हैं,
कौन यह संसार चलाती है ?
कौन आप को इस दुनिया में,
अपने कोख से लाती है ?
फिर भी क्यों मुझे ,
कोख में मार दिया जाता है,
और अगर जन्म लेकर इस
दुनिया में आ भी गई तो
माँ-बाप के प्यार के लिए ,
क्यों तरसना पड़ता है?
~अनामिका