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26 Feb 2021 · 1 min read

मैं पुरुष रूप में वरगद हूं..पार्ट_4

भीतर से हूं निरा खोखला, बाहर से दिखता गदगद हूं…
मिथ्या कहते है सबल श्रेष्ठ, मैं पुरुष रूप में वरगद हूं…
मैं वरगद हूं, मैं वरगद हूं, मैं वरगद हूं, मैं वरगद हूं…

मैं रावण हूं मैं राक्षस हूं, मुझसे धरती अम्बर डोला..
अत्याचारी, स्त्रीगामी, जिसने जो चाहा वो बोला..
पंडित, साधक, शास्त्रज्ञ निपुण नर में नारायण ज्ञान भी था…
रक्खा था श्रेष्ठ वाटिका में, जग जननी मां का भान भी था..
अनुजा हित मृत्यु जानकर भी बलि चढ़ने वाला दसमुख हूं…
मिथ्या कहते है सबल श्रेष्ठ, मैं पुरुष रूप में वरगद हूं…
मैं वरगद हूं, मैं वरगद हूं, मैं वरगद हूं, मैं वरगद हूं…

Language: Hindi
2 Likes · 9 Comments · 365 Views
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