मैं पढ़ने कैसे जाऊं
अम्मा गई आन गावे दहिंवारे मा
घर का कौन तकिहै मैडम जी
दो चार दिना हम स्कूल न आइहे मैडम जी।
बप्पा मोरे काटे जात हैं
बीघन खड़ी फसलन का अकेले कइसे कटिहे मैडम जी
इहि कै खातिर दो चार दिना हम स्कूल न आईहे मैडम जी।
चार है बहिनी तीन ठो भईया सब हमसे छोटन है
छुटकी तो अभी कनिहा मा है नेंगत नई आ मैडम जी
हम लादीहे तो खाना बनाई हमाई अम्मा जी
इही के खातिर रोजाना हम स्कूल न आईहे मैडम जी।
छेरी हमाइ कौन चरावे
भैया हमसे लड़ लड़ जावे
कहत है दुई दिन तुम दूई दिन हम जंगल को जावो बहन जी
इही के खातिर हम रोजाना ना आईहे
मैडम जी।
स्कूल हमार चार कोस पड़ी जाए
भरी दुपहरी हम नेंगत जाएं
अतरे दूसरे दिन माथा गरम हुई जाए मैडम जी
इही के खातिर हम रोजाना स्कूल न आईहे मैडम जी।