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8 Mar 2024 · 1 min read

मैं नारी हूं…!

मैं नारी हूं
सीता सावित्री मैत्रेयी

गार्गी और अपाला
केवल तन के

भूगोल को पढ़ते
हे पुरुष !

क्या तुमने मेरे
अंतर्मन को भी

कभी पढ़ा है
पढोगे तो जानोगे

श्रेष्ठम संस्कारों से परिष्कृत
संवेदनशीलता का

मेरा खौलता इतिहास
गृहस्वामिनी

कहा जाता है मुझे
गृहलक्ष्मी

की पदवी भी है
मुझे स्वतः प्राप्त

अधः पतन की ओर अग्रसित
हे पुरुष !

तुम तो बस
लगे रहते हो

रसोई और बिस्तर
की गणित में

एक तरफ
मानते हो

जगज्जननी आद्याशक्ति की
प्रतिनिधि व प्रतिमूर्ति

फिर कैसे
बन जाते हो रावण

और कर देते हो
विखण्डन मेरा
कंस की तरह

–कुंवर सर्वेंद्र विक्रम सिंह
*यह मेरी स्वरचित रचना है
*©सर्वाधिकार सुरक्षित

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