मैं नहीं हूँ कलमकार…..
मैं नहीं हूँ कोई कलमकार
बस दे देती हूँ शब्दों को आकार
बिन सोचे बिन समझे
गढ़ देती हूँ नये शब्दों का भण्डार
कभी गहरे कभी छिछले
कभी उथले जो दिल को छू जाते है
हर बार!
देती हूँ बस ऐसे शब्दों को आकार
हाँ सच में! मैं नहीं हूँ कोई कलमकार!
ह्रदय से उठती टीस की सुन लेती हूँ पुकार
गढ़ना चाहती हूँ अपने भावों को बार-बार
भेदती हूँ हर इन्सान को अपने शब्दों के जरिये
नहीं है मेरे पास और कोई धारदार हथियार…
ऐसे ही देती हूँ हर रोज शब्दों को आकार
हाँ !सच में मैं नहीं हूँ कोई कलमकार……
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शालिनी साहू
ऊँचाहार, रायबरेली(उ0प्र0)