मैं नहीं जानता
नशा तुममें है या
तुम्हारी आंखों में
मैं नहीं जानता मगर
जब से देखा है तुम्हें
हम होश में है ही नहीं ।।
जादू तुममें है या
तुम्हारी मुस्कान में
मैं नहीं जानता मगर
तुम्हारा चेहरा आंखों से
ओझल होता ही नहीं।।
मिठास तुममें है या
तुम्हारी आवाज़ में
मैं नहीं जानता मगर
गूंज कानों से तुम्हारी
आवाज़ की जाती नहीं।।
शीतलता तुममें है या
तुम्हारी जुल्फों की छाव में
मैं नहीं जानता मगर
उस छाव की शीतलता का
वो एहसास जाता ही नहीं।।
आकर्षण तुममें है या
तुम्हारे प्यारे दिल में
मैं नहीं जानता मगर
जबसे मिले हो बिन तुम्हारे
अब रहा जाता ही नहीं।।
प्यार तुमसे करूं या
तुम्हारी मासूमियत से
मैं नहीं जानता मगर
तुम्हारा मासूम चेहरा
आंखों से दूर जाता नहीं।।