मैं दौलत हूं
मैं दौलत हूं
मैं आज लोगो का ईमान बन गई
धर्म कर्म पूजा भगवान बन गई
बन गई हूं मैं किसी उपासना
किसी के लिए मैं कुरान बन गई
बनाया था मुझे बस कुछ मूल जरूरतों के लिए
पर मैं इंसान के लिए सारा जहान बन गई
मैं आज लोगो का ईमान बन गई
बेच देता बाप बेटी भरे बजार में जाकर
कोई जलादे बहू , इल्ज़ाम दहेज का लगाकर
कहीं भाई भाई के खून से होली खेल लेता है
कहीं बहेने भाई की मौत का सामान बन गई
मै आज लोगो का ईमान बन गई
मेरे लिए लोग लाशों का व्यापार कर लेते
मेरे लिए झूठा प्यार कर लेते
एक दूसरे को काट कर फेंक आते है
मेरे लिए मां बाप से दर किनार कर लेते
मुझे खुद के होने पर बड़ा अफसोस होता है
ना जाने मैं कैसे रिश्तों का शमशान बन गई
मै आज लोगो का ईमान बन गई
प्रज्ञा गोयल ©®