मैं दोस्तों से हाथ मिलाने में रह गया कैसे ।
मैं दोस्तों से हाथ मिलाने में रह गया कैसे ।
मैं ख़ाली हाथ इस ज़माने में रह गया कैसे।
वो इक शख्स जो मिरा दोस्त ज़माने से था
पता नहीं कि अचानक से यूँ बदल गया कैसे
बस इक ख़याल तिरा लफ़्ज़ों में ढल रहा
आँखों में ‘नीलम’ आसमां है उतर रहा जैसे।
नीलम शर्मा ✍️