मैं तेरे प्यार में गुनगुनाता हूँ
रातभर जागकर बिताता हूँ,
मैं तेरे प्यार में गुनगुनाता हू।
कविता बनकर आ रही हो तुम।
मैं प्रेम से गले लगाता हूँ ।
रातभर जागकर बिताता हूँ ।
मैं तेरे प्यार में गुनगुनाता हूँ ।
जो चांद सा दिखती हो कभी
मैं दूर से ही जगमगाता हूँ
तेरे दिखने से ईद है मेरी
जिस दिन दीद तेरी पाता हूँ ।
रातभर जागकर बिताता हूँ
मैं तेरे प्यार में गुनगुनाता हूँ ।
#विन्ध्य_प्रकाश_मिश्र_विप्र