Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Nov 2023 · 2 min read

मैं तेरे दर्पण की छाया हूँ

मैं तेरे दर्पण की छाया हूँ
मैं तेरे ख़ातिर आया हूँ
चूड़ी कंगन हार महावर
चार खिलौने मैं लाया हूँ

क्या दुनिया की रीत भुला दूँ
आ तुझको दो घूँट पिला दूँ
अंगारों पर हाथ जला दूँ
छंद, ग़ज़ल कुछ गीत सुना दूँ
ज़ुल्फ़ों में इक फूल लगा दूँ
रंगों की बौछार उड़ा दूँ
दुनियादारी को बहला के
पहली सफ़ में मैं आया हूँ

आ मेरी बाहों के घेरे
पूरे हो जाएँगे फेरे
दिल जलता है शाम सवेरे
भीगी पलकें रैन-बसेरे
मेरी पलकें आँसू तेरे
छा जाएँ फिर लाख अँधेरे
पत्थर पर घिसकर क़िस्मत को
क्या मैं तुझको अब भाया हूँ ?

मैं दे सकता सूखी रोटी
काम बहुत हैं उम्रें छोटी
जीवन है चौसर की गोटी
अपनी तो है क़िस्मत खोटी
लहज़ा ताज़ा बासी रोटी
कौन समझता बात है मोटी
हीरे-मोती, चाँदी-सोना
इन से बेहतर मैं लाया हूँ

पहली सफ़ की फ़ुर्सत हो तुम
एक पुरानी आदत हो तुम
इक रांझे की हसरत हो तुम
ख़्वाब में पाई दौलत हो तुम
राम दुहाई ख़ल्वत हो तुम
मेरी पहली उल्फ़त हो तुम
अब तो जानाँ मान भी जाओ
लाख जतन कर के पाया हूँ

पेड़ परिंदें एक कहानी
पास में है दरिया का पानी
ज़ुल्फ़ें धोती धूप सुहानी
मैं राजा तू मेरी रानी
मीत, ग़ज़ल का तुम हो सानी
सैर करे हम दोनों यानी
नन्ही-मुन्नी ख़ुशियाँ मेरी
इससे ज़्यादा क्या पाया हूँ

गीत ग़ज़ल है मेरा पेशा
इन में ही गुज़रा है लम्हा
मीत, निभा लोगे तुम रिश्ता
प्रेम का दूजा नाम भरोसा
जीने का आसान सलीक़ा
बन जाऊँगा एक फ़साना
पेशानी पर उगने वाले
काँटें दफ़ना कर आया हूँ

Language: Hindi
103 Views

You may also like these posts

तू अपना सफ़र तय कर -कविता
तू अपना सफ़र तय कर -कविता
Dr Mukesh 'Aseemit'
भोग कामना - अंतहीन एषणा
भोग कामना - अंतहीन एषणा
Atul "Krishn"
बुढ़ापा आता है सबको, सभी एहसास करते हैं ! उम्र जब ढ़लने लगती ह
बुढ़ापा आता है सबको, सभी एहसास करते हैं ! उम्र जब ढ़लने लगती ह
DrLakshman Jha Parimal
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Tea Lover Please Come 🍟☕️
Tea Lover Please Come 🍟☕️
Urmil Suman(श्री)
कदम बढ़े  मदिरा पीने  को मदिरालय द्वार खड़काया
कदम बढ़े मदिरा पीने को मदिरालय द्वार खड़काया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जिंदगी आंदोलन ही तो है
जिंदगी आंदोलन ही तो है
gurudeenverma198
“शिक्षा के दीपक”
“शिक्षा के दीपक”
Yogendra Chaturwedi
ग़ज़ल(ज़िंदगी लगती ग़ज़ल सी प्यार में)
ग़ज़ल(ज़िंदगी लगती ग़ज़ल सी प्यार में)
डॉक्टर रागिनी
रौनक़े  कम  नहीं  हैं  चाहत की
रौनक़े कम नहीं हैं चाहत की
Dr fauzia Naseem shad
यें सारे तजुर्बे, तालीम अब किस काम का
यें सारे तजुर्बे, तालीम अब किस काम का
Keshav kishor Kumar
- मोहब्बत की राह -
- मोहब्बत की राह -
bharat gehlot
बोझ बनकर जिए कैसे
बोझ बनकर जिए कैसे
Jyoti Roshni
अश्रु की भाषा
अश्रु की भाषा
Shyam Sundar Subramanian
बर्दास्त की आख़िर हद तक देखा मैंने,
बर्दास्त की आख़िर हद तक देखा मैंने,
ओसमणी साहू 'ओश'
Acrostic Poem- Human Values
Acrostic Poem- Human Values
jayanth kaweeshwar
* मैं अभिमन्यु *
* मैं अभिमन्यु *
भूरचन्द जयपाल
इन रावणों को कौन मारेगा?
इन रावणों को कौन मारेगा?
कवि रमेशराज
हम उस पीढ़ी के लोग है
हम उस पीढ़ी के लोग है
Indu Singh
छंदहीनता
छंदहीनता
Rambali Mishra
ദുരന്തം.
ദുരന്തം.
Heera S
3595.💐 *पूर्णिका* 💐
3595.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*तेरे इंतज़ार में*
*तेरे इंतज़ार में*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
लिख के उंगली से धूल पर कोई - संदीप ठाकुर
लिख के उंगली से धूल पर कोई - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
आज फिर से
आज फिर से
Madhuyanka Raj
संवेदना
संवेदना
Godambari Negi
#गीत-
#गीत-
*प्रणय*
धरती का स्वर्ग
धरती का स्वर्ग
राकेश पाठक कठारा
इबादत
इबादत
Roopali Sharma
चुभते शूल ……
चुभते शूल ……
Kavita Chouhan
Loading...